'चैंपियन' सुनाएंगे टीबी को मात देने की दास्तान
नऊवाराणसीश्रावस्तीबलरामपुर चित्रकूट गोरखपुरचंदौलीसिद्धार्थनगरसोनभद्रप्रयागराज फतेहपुर और बहराईच में टीबी चैम्पियन्स ने जिला स्तरीय टीबी फोरम में भागीदारी करके ट्रीटमेंट सपोर्टर तथा सक्रिय खोज अभियान में कार्यकर्ता के रूप में योगदान दिया है।
लखीमपुर : क्षय रोग को मात दे चुके मरीज लोगों को जागरूक करेंगे। साथ ही अपने 'चैंपियन' बनने की कहानी सुनाएंगे। जल्द ही जिले में टीबी चैंपियन का चयन किया जाएगा। यह वर्ष 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने की दिशा में एक और प्रयास है।
सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल, जिला क्षयरोग अधिकारी डॉ. बलबीर सिंह समेत जिले में 16 अधिकारियों की अगुवाई में टीमें टीबी चैंपियन को खोजेंगी। टीमों को प्रशिक्षित भी किया जा चुका है। विकासखंड नकहा में टीबी चैंपियन चुने जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सोमवार से अभियान शुरू होगा। डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि टीबी चैंपियन क्षय रोग के सम्बन्ध में जनमानस को जागरूक करने में बहुत उपयोगी साबित होंगे। वे टीबी को मात देने के किस्से सुनाएंगे और मरीजों को सही तरीके से इलाज के लिए प्रेरित करेंगे।
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12 जिलों में चैंपियनों ने दिया योगदान :
डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान में 12 जिलों बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, लखनऊ, वाराणसी, चित्रकूट, गोरखपुर, चंदौली, सिद्धार्थनगर, सोनभद्र, प्रयागराज व फतेहपुर में टीबी चैंपियनों ने जिला स्तरीय टीबी फोरम में भागीदारी करके ट्रीटमेंट सपोर्टर तथा सक्रिय खोज अभियान में कार्यकर्ता के रूप में योगदान दिया है। यहां तीन से पांच टीबी चैंपियन का चयन किया जाएगा। इसमें टीबी मुक्त ब्लॉक को प्राथमिकता दी जायेगी।
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ऐसे फैलता है टीबी
डॉ. बलबीर सिंह ने बताया कि यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस जीवाणु के कारण होने वाली बीमारी है। यह रोग हवा के माध्यम से फैलता है। जब क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति बोलता, खांसता या छींकता है तो उससे संक्रमित ड्रापलेट न्यूक्लिआइ उत्पन्न होते हैं, जो हवा के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं।