दुधवा में एम स्ट्राइप का कमाल, 1.28 लाख किलोमीटर क्षेत्र तक नजर

दुधवा नेशनल पार्क के घने जंगलों में एम स्ट्राइप तकनीक से पैदल गश्त करने वाली टीमें हर माह नया रिकार्ड बना रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 10:21 PM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 10:21 PM (IST)
दुधवा में एम स्ट्राइप का कमाल, 1.28 लाख किलोमीटर क्षेत्र तक नजर
दुधवा में एम स्ट्राइप का कमाल, 1.28 लाख किलोमीटर क्षेत्र तक नजर

लखीमपुर : दुधवा नेशनल पार्क के घने जंगलों में एम स्ट्राइप तकनीक से पैदल गश्त करने वाली टीमें हर माह नया रिकार्ड बना रही हैं। अगस्त 2018 में जब यह तकनीक लागू हुई तो पहला महीना इसे समझने में गुजर गया। सितंबर से विधिवत एम स्ट्राइप के जरिए वनकर्मियों से गश्त कराई जाने लगी। शुरुआती महीना होने के कारण महज 16258 किलोमीटर गश्त हो पाई, लेकिन तीन साल बाद अब एम स्ट्राइप तकनीक से जंगल में गश्त का दायरा 1.28 लाख किलोमीटर तक पहुंच गया है। सुरक्षा में तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से अब जंगल का सुदूर इलाका अधिकारियों के लैपटॉप पर नजर आने लगा है। जिससे अधिकारी भी बाघों के कोरजोन की मानीटरिग कर ले रहे हैं।

सितंबर 2018 के बाद गश्त में गिरावट आने लगी। महज 9135 किलोमीटर के दायरे में ही वनकर्मी एम स्ट्राइप से पैदल गश्त कर पाए, लेकिन दिसंबर माह में यह गश्त बढ़कर 17718 किलोमीटर हो गई। यहां से अब दुधवा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। तुलनात्मक देंखे तो अगस्त 2019 में जहां पार्क के अधिकारी-कर्मचारी 74089 किलोमीटर, दिसंबर 2019 में 81848 तो दिसंबर 2020 में 1.08 लाख किलोमीटर तक जंगल में गश्त हुई। लगातार अधिकारियों की मानीटरिग की वजह से जंगल में एम स्ट्राइप तकनीक हर महीने नया रिकार्ड बनाती जा रही है।

जनवरी 2021 में पैदल गश्त रिकॉर्ड 1.16 लाख किलोमीटर हुई, लेकिन मार्च महीने में 1.28 लाख किलोमीटर गश्त का रिकार्ड बन गया। कोरोना में दो दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों के बीमार होने के बावजूद वनकर्मियों की गश्त पर कोई ब्रेक नहीं लगा। जिससे अप्रैल 1.28 लाख किलोमीटर का आंकड़ा बरकरार रहा। मई में जब कोरोना अपने उफान पर था, तभी वनकर्मी दुधवा पार्क में 1.22 किलोमीटर तक गश्त करते रहे। अधिकारियों का कहना है कि एम स्ट्राइप तकनीक से गश्त में जंगल का वह इलाका भी कवर हो जा रहा है, जहां कभी गश्त के लिए टीमें नहीं पहुंच पाती थीं। कैसे होती है एम स्ट्राइप से गश्त

एम स्ट्राइप (मानीटरिग सिस्टम फार टाइगर इंटेशिव प्रोटेक्शन एंड ईको लाजिकल स्टेटस) एक ऐसा साफ्टवेयर है, जिसे मोबाइल में डाउनलोड करने पर संबंधित अधिकारी-कर्मचारी का विवरण भरना होता है। जिसके बाद यह उस जगह का मैप दिखाना शुरू कर देता है। साथ ही अपने आप ही डाटा फीडिग करने लगता है। अधिकारी मोबाइल आन होने पर लगातार कर्मचारी की लोकेशन ले सकते हैं।

पूरे टाइगर रिजर्व में मानसून अलर्ट, टीमें तैनात

मानसून को देखते हुए दुधवा टाइगर रिजर्व की 146 बीटों में अलर्ट घोषित किया गया है। दुधवा की 47, कतर्निया की 41 व बफर की 59 बीटों में दो वाचर और इलाकाई फारेस्ट गार्ड को जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा उड़नदस्ता, डिप्टी डायरेक्टर के स्तर से बनाई गई टीमों से पैदल गश्त के निर्देश दिए गए हैं। जिम्मेदार की सुनिए

दुधवा में एम स्ट्राइप तकनीक को पूरी तरह लागू करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इससे जंगल व वन्यजीवों की सुरक्षा और आसान हो गई है। कर्मचारी-अधिकारी भी अब इसके अभ्यस्त हो गए हैं। खासकर मानसून के दौरान इस तकनीक का और ज्यादा फायदा मिलने वाला है। संजय पाठक, फील्ड डायरेक्टर, दुधवा टाइगर रिजर्व

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