पीएम मोदी को भाया आम के आम गुठलियों के दाम का फंडा

खीरी जिले की धौरहरा तहसील के एक छोटे से गांव समैसा में रहने वाली पूनम देवी ने

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 12:58 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 12:58 AM (IST)
पीएम मोदी को भाया आम के आम गुठलियों के दाम का फंडा
पीएम मोदी को भाया आम के आम गुठलियों के दाम का फंडा

लखीमपुर : खीरी जिले की धौरहरा तहसील के एक छोटे से गांव समैसा में रहने वाली पूनम देवी ने शायद ही कभी सोचा होगा कि उनका नाम भी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुबान पर होगा। ये सच हुआ और रविवार को प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात इस सच्चाई का गवाह बन गई। प्रधानमंत्री ने करीब तीन मिनट तक लखीमपुर खीरी के गांव समैसा में ग्रामीण महिलाओं द्वारा की गई अनूठी पहल की सराहना की। उन्होंने मुक्त कंठ से केवल इन महिलाओं के प्रयासों को सराहा ही नहीं बल्कि आम के आम गुठलियों के दाम जैसी कहावत कह आम लोगों तक यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की कि कोई भी प्रयास छोटा नहीं होता और खराब चीजों से भी बेहतर चीजें तैयार की जा सकती है। कोरोना काल में खीरी के समैसा गांव में ग्रामीण महिलाओं की इस पहल को प्रधानमंत्री मोदी ने विस्तार से बताया कि कैसे इस काम से महिलाओं को आर्थिक मदद मिलनी शुरू हो गई और उनकी मेहनत से निकलने वाला फल कितना मीठा होने जा रहा है। समय साधनों की महिलाओं के सफल प्रयास पर रोशनी डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि गांव की महिलाओं ने कोरोना काल में केले के तनो से उसका रेसा तैयार किया जो आज उनकी कमाई का मजबूत जरिया बनता जा रहा है। लखीमपुर की महिलाओं के इस प्रयास की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देशवासियों से यह अपील भी की कि वह भी अपने आसपास नजरे दोहराएं और देखें क्या वह भी कोई ऐसी पहल कर सकते हैं क्या। समैसा में इस समूह की अगुवा पूनम खुशी से गदगद हैं। खीरी जिले के सीडीओ अरविद कुमार की बांछे इसलिए खिली हैं क्यूंकि कोरोना के दौरान ये पूरी कवायद उनकी देखरेख व निगरानी में हुई। दो दिन में पूनम की फर्म को जीएसटी नंबर भी मिल जाएगा। अगस्त से केले की कटाई होगी तो इन महिलाओं का नाम और काम दोनो देश भर में नजर आएगा। इस तरह पारंगत हुईं ग्रामीण महिलाएं..

सीडीओ अरविद सिंह की पहल पर धौरहरा की समूह की महिलाएं केला के तने से रेशा निकाल रही हैं।

इस काम में मां सरस्वती शिल्प हेल्प ग्रुप की सदस्य राधा देवी व पूनम सहित सभी महिलाएं इस कार्य में लगी हुई हैं। समैसा गांव की 39 महिलाओं को केले के तने से फाइवर निकालने का प्रशिक्षण दिया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार मिशन से यह महिलाएं जुड़ी हैं। दिसंबर से शुरू हुई कवायद..

संगठन की अध्यक्ष पूनम देवी ने दिसंबर माह से करीब 3.75 लाख की लागत से मशीन लगाई है। अहमदाबाद, गुजरात से मशीन के साथ आई वीडियो कैसेट को देखकर महिलाओं द्वारा केला के तने से रेशा तैयार किए जा रहे हैं। इस कार्य के लिए 20 लोगों को रोजगार भी मिला है। अब तक करीब दो क्विटल केले के तने से रेशा महिलाएं तैयार कर चुकी हैं। जिसे गुजरात भेजा जा चुका है। मुफ्त में मिल रहा है तना..

अभी महिलाओं को केले के तने मुफ्त में मिल रहे हैं। महिलाओं को तना कटवाने के लिए लेबर खर्च देना होता है। जिला प्रशासन ने इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए गुजरात की एक कंपनी से आइएफ किया है। जिले में बड़े पैमाने पर केले की खेती होती है। विशेषकर पलिया, निघासन, रमियाबेहड़, ईसानगर व धौरहरा विकास क्षेत्र केला की खेती के हब बन चुके हैं। केला के फल बेचने के बाद उसका पेड़ किसानों के किसी काम का नहीं होता है। उसे काटने और नष्ट करने में किसानों को मजदूरी खर्च करनी पड़ती है।

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