केला व मिर्च की सहफसली खेती बनी मिसाल

सच ही कहा गया है कि किसान स्वयं में वैज्ञानिक है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 11:07 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 11:07 PM (IST)
केला व मिर्च की सहफसली खेती बनी मिसाल
केला व मिर्च की सहफसली खेती बनी मिसाल

लखीमपुर : सच ही कहा गया है कि किसान स्वयं में वैज्ञानिक है। हुनर व हौसले के बल से कुछ किसान ऐसा कर दिखाते है जो दूसरे के लिए मिसाल बन जाता है। ईसानगर गांव के किसान पुरुषोत्तम ने टिशू कल्चर की हाईटेक खेती करने के साथ वह सहफसली खेती के कई प्रयोग किए। केला के साथ मिर्च उसमें सबसे फायदेमंद व उपयोगी साबित हुई। खेत में अक्टूबर माह में टिशू कल्चर केला की पौध लगाई और नवंबर माह में मिर्च लगा दी। मिर्च में अगेती फसल से किसान पुरुषोत्तम काफी खुश हैं। प्रगतिशील किसान के इस प्रयोग का लाभ अब क्षेत्र के और किसान लेने लगे। किसान ने बताया कि सहखेती में इस बार केला के साथ मिर्च की खेती का नया प्रयोग किया तो उसमें भी इतनी आय हो गई है कि केला में लगने वाला खर्च निकल आया। ऐसे में अब केला की खेती से मिलने वाली आय बिना लागत के हासिल हो जाती है। मिट्टी को बनाएं उपजाऊ

केला की खेती करने के लिए खेत की माटी को उपजाऊ बनाना जरूरी है। रसायनिक की जगह जैविक व कंपोस्ट खाद को प्रयोग किया जाना चाहिए। केले की मिट्टी में अच्छी जलनिकासी, नमी बनाए रखने की क्षमता होनी चाहिए। चिकनी व बलुई मिट्टी जिसका पीएच 6 से 7.5 हो केले के लिए सबसे अधिक उपयुक्त है। केला रोपने के पहले ढेंचा, लोबिया जैसी हरी खाद की फसल उगाकर उसे मिट्टी में पलट दे। उपजाऊ मिट्टी होने से केला के साथ अन्य फसलें लेने में अच्छी पैदावार मिलती है। टिशू कल्चर की रोपाई व फायदें

बारिश शुरू होते ही टिशू कल्चर केला की पौध लगाई जाती है। जून माह में किसान खेत तैयार कर ले और जुलाई माह में हर हाल में रोपाई कर दे। टिशू कल्चर केला किसानों की आय को सामान्य केला से ड्यौढा कर देता है। प्रगतिशील किसान ने बताया कि टिशू कल्चर के केला में फलत एक साथ व एक साइज की मिलती है। जबकि सामान्य में केला में समय का अंतर हो जाता है। जून माह में केला की पौध लगाने के लिए खेत में गड्ढे तैयार कर ले और उसमें कंपोस्ट खाद, नीम की खली, सुपर फास्फेट, पोटाश डाल कर मिट्टी भर दें।

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