शारदा नदी में दो और मकान समाए

लखीमपुर शारदा नदी की तबाही से दर्जनों परिवार बेघर हो गए। सिर छुपाने के लिए जगह नही ब

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 11:03 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 11:03 PM (IST)
शारदा नदी में दो और मकान समाए
शारदा नदी में दो और मकान समाए

लखीमपुर : शारदा नदी की तबाही से दर्जनों परिवार बेघर हो गए। सिर छुपाने के लिए जगह नही बची। सड़कों के किनारे जिदगी जीने को मजबूर लोगों को प्रशासन भी अनदेखी कर रहा है। कटान पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित की गई थी वह भी 20 दिन पहले। इसके बाद इनकी तरफ कोई देखने नही पहुंचा है।

शनिवार को रामजीत व दीनानाथ के पक्के मकान नदी में धराशाई हो गए। इससे पहले भी करीब 45 पक्के व कच्चे घर नदी में बह गए हैं। जिनके घर अभी बचे हैं उनको चिता सता रही है। कहीं उनका घर भी नदी की भेंट न चढ जाए। प्रशासन के दावे यहां हवा हवाई साबित हो रहे हैं। तहसील निघासन का अहिराना गांव मिटने की कगार पर है। ग्रामीण बताते हैं कि बाढ़ आने के समय उन लोगों ने अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से गांव की समस्या बताई थी। कटान की गंभीर समस्या पर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया जिसका नतीजा है गांव मिटने की कगार पर है। रोजाना किसी न किसी का घर नदी में समा रहा है। ग्रामीणों की माने तो इस गांव में कुछ ही घर बचे हैं आधे से ज्यादा गांव नदी ने सफाया कर दिया है। फिर भी कटान नहीं रुक रहा है जिससे बचे हुए घरों को खतरा बना हुआ है। घरों के साथ साथ गन्ने की फसले भी नदी में समाती जा रही हैं।

पुरविया में कटान पड़ा धीमा, संकट अभी बरकरार

तिकुनिया के ग्राम पुरविया बस्ती में शनिवार को मोहाना नदी की कटान धीमी दर्ज की गयी। मगर कटान पीड़ितों में अपना घर कटने का भय अभी भी बरकरार है। बीते चार दिनों से गांव में तबाही मचा रही मोहाना नदी की कटान रोकने का सिचाई विभाग ने अभी तक कोई भी प्रयास नहीं किया है। जिससे कटान पीड़ितों में भारी रोष बना हुआ है।

सिचाई विभाग के अधिकारी मोहाना नदी की तबाही को रोकने के लिए भले ही परक्यूनपाइन स्टेट लगाकर बचाव कार्य कर रहे हो मगर सही मायने में सिचाई विभाग के अधिकारी भी इसे मजबूत व ठोस बचाव कार्य नहीं मानते हैं। सिचाई विभाग द्वारा किया गया यह बचाव कार्य पूरी तरह धराशाई हो चुका है। मोहाना नदी कटान कर तेजी से भूमि काट लोगों को बर्बाद करने में आमादा है। शनिवार को पुरविया बस्ती गांव में कटान धीमा दर्ज किया गया। ग्रामीणों में घर कटने का भय अभी भी बना हुआ है। बेवा रामकली का पक्का बना घर नदी के बिल्कुल नजदीक है। इसी प्रकार इस गांव में करीब बसे 15 परिवारों के आगे अपना परिवार चलाने का संकट बन गया है। सिचाई विभाग के जेई हरीस वर्मा बताते हैं कि ग्राम प्रधान से कटान रोकने के लिए झाड़ इकट्ठा करने को कहा गया है। अब सवाल तो यह है कि अभी भी सिचाई विभाग के अधिकारी झाड़ झाड़ियों के जरिए कटान रोकने के नाम पर रुपया बहाने का बहाना ढूंढ रहे हैं। भीषण तबाही मच रही है बावजूद इसके सिचाई महकमा ठोस उपाय करने को राजी ही नहीं है। ग्राम प्रधान पति चरणजीत सिंह ने बताया कि ठोस उपाय कटान रोकने के नहीं होते हैं तो केवल सरकार का रुपया नदी में बहाने का काम किया जाएगा। इधर गांव को मोहना नदी की तबाही बचाने के लिए कोई मजबूत व ठोस उपाय शुरू न होने से कटान पीड़ितों में भारी रोष बना हुआ है।

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