अतिउत्साह और प्रशासन की अनुभवहीनता बनी आफत की वजह

बुधवार का दिन धौरहरा तहसील में आफत का दिन साबित हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 10:44 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 10:44 PM (IST)
अतिउत्साह और प्रशासन की अनुभवहीनता बनी आफत की वजह
अतिउत्साह और प्रशासन की अनुभवहीनता बनी आफत की वजह

लखीमपुर : बुधवार का दिन धौरहरा तहसील में आफत का दिन साबित हुआ। अलग-अलग घटनाओं में दो नाव पलटीं। दोनों में 33 लोग मुसीबत में फंसे। प्रशासन और विधायक की दिन भर चली जद्दोजहद के बाद इनमें 20 को सुरक्षित निकाला गया। तफसील से बात करें तो ईसानगर के मिर्जापुर गांव के 16 लोग घाघरा में फंसे थे। इनमें एक की मौत हुई और 15 हेलीकाप्टर की मदद से सुरक्षित निकाले गए। दूसरी घटना रमियाबेहड़ ब्लाक के देवमनिया की थी। इसमें 17 लोग फंसे जिसमें पांच बचाए जा सके। 12 लोग लापता हैं। इसके अलावा धौरहरा ब्लाक के समर्दा बदाल गांव में 25 लोग शारदा नदी के बीच फंसे थे। इन्हें नाव के जरिये रेस्क्यू किया गया। इसी ब्लाक के ग्राम लिप्टिसपुरवा, सोनेलालपुरवा, लौकाहीपुरवा और नयापुरवा में करीब डेढ़ सौ परिवार घरों में पानी भरने से छतों पर आ गए। देर शाम तक इन्हें भी नाव से रेस्क्यू करने की कोशिश चल रही थी। ये आफत का बुधवार बेशकीमती लकड़ी के लालच, चेतावनी को हल्के में लेने, और प्रशासन की भी ढीलासाजी का परिणाम था। बाढ़ के दौरान अक्सर घाघरा नदी में पहाड़ों से बेशकीमती लकड़ी बह कर आती है। ग्रामीण इसे निकालते हैं फिर बेचते हैं। मिर्जापुरवा कि लोग तो इसी लालच के चलते आफत में फंसे। रमियाबेहड़ ब्लाक के देवमनिया गांव निवासी ग्रामीणों के आफत में आने की वजह यह कि यह लोग रोज ही नदी पार कर खेतों से घर का सफर करने के आदती हैं। तैराक भी हैं तो इन्होंने घाघरा की लहरों को हल्के में ले लिया। प्रशासन की चूक यह कि उसने बाढ़ की स्थितियों को ही बौना समझ लिया। अगर तहसील क्षेत्र की स्थितियों को समझ कर कदम उठाए गए होते तो शायद इन हादसों से बचा जा सकता।

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