बाढ़ ने तोड़ दी किसानों की कमर, नहीं बची धान लगाने की हिम्मत
अच्छी बरसात होने के बाद क्षेत्र का किसान धान की फसल लगाने की तैयारी कर रहा था।
लखीमपुर : अच्छी बरसात होने के बाद क्षेत्र का किसान धान की फसल लगाने की तैयारी कर रहा था लेकिन, होनी को कुछ मंजूर था। शारदा नदी में आई बाढ़ ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया। किसान जिस खेत में धान लगाना चाह रहे थे वह खेत ही जलमग्न हो गया अब धान कहां पर लगाए। इतना ही नहीं किसानों ने जो गन्ना बो रखा था वह भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया। अचानक आई बाढ़ ने किसानों को अंदर तक हिला दिया है। किसान मायूस हो गए हैं। गन्ने की फसल पर भी बाढ़ के पानी का अच्छा खासा असर है।
पहाड़ों पर लगातार बारिश होने से बनबसा बैराज से भी शारदा नदी में लगातार पानी छोड़ा जा रहा है। पिछले तीन दिनों में नदी में इतना पानी आया कि शारदा नदी उफना गई और दर्जनों गांवों में पानी भर गया और हजारों एकड़ फसल डूब गई। फसल के अलावा गांवों में पानी भरने से ग्रामीणों के घरों में भी पानी भर गया। उनका सामान भी भीग गया और पशुओं के लिए भी चारा आदि नहीं बचा। ग्रामीण और पशु दोनों भूखे रहे लेकिन, बाढ़ के डर से अपना आशियाना छोड़कर जाना गंवारा नहीं किया। नौरंगपुर के किसान बलराज सिंह का कहना है कि जब बरसात शुरू हुई तो इस बात से खुश थे कि चलो इस साल धान की फसल अच्छी होगी और लागत भी कम हो जाएगी। यह कहां पता था कि बाढ़ आ जाएगी और जहां धान लगाने की सोच रहे थे वह खेत ही जलमग्न हो जाएगा। भीरा के जसप्रीत सिंह का कहना था कि उनका खेत नदी के पास पड़ता है इस साल गन्ने की फसल अच्छी थी और समय समय पर बारिश होने के कारण गन्ना खूब बढ़ भी रहा था लेकिन, शारदा की बाढ़ ने फसल ही चौपट कर दी। खेतों में इतना पानी भर गया है कि गन्ना ही डूब गया है और उसके सड़ने के आसार बन गए हैं। देवीपुर के किसान रामकुमार का कहना है कि उसका खेत कुछ निचले इलाके में है और हर साल यहां पानी भर जाता है तथा फसल कुछ हद तक खराब होती थी लेकिन, इस बार पानी जल्दी आ गया और काफी आया है। इसलिए फसल बचने की उम्मीद न के बराबर है। क्या कहते हैं जिम्मेदार
तहसीलदार आशीष कुमार सिंह का कहना है कि बाढ़ से कुछ गांव प्रभावित हुए हैं। ग्रामीणों की बजाय इस बाढ़ से फसल ज्यादा प्रभावित हुई है। उन्होंने बताया कि अभी इसका आंकलन नही किया जा सका है कि कितने हेक्टेअर फसल प्रभावित हुई है। अनुमान है कि बाढ़ का असर कम से कम चार सौ हेक्टेअर फसल पर तो होगा ही। अभी बाढ़ से निपटने की प्राथमिकता है उसके बाद नुकसान का आंकलन किया जाएगा।
समदहा व चिकनाजती में पहुंचा शारदा का पानी शारदा नदी का पानी समदहा, रैनी, चिकनाजती, राजापुर भज्जा, चहमलपुर और खगियापुर गांव में घुस चुका है। फिलहाल सबसे खराब हालात समदहा और चिकनाजती गांव में है। यहां आवागमन के रास्ते दुरूह हो गए हैं। घरों में पानी भर गया है। जिदगी लकड़ी के तख्त, चारपाई और ऊंचे स्थानों तक सिमट गई है।
सोमवार शाम नदी के दूसरे किनारे पर बसे समदहा के करीब डेढ़ सौ लोगों को नाव के जरिये सुरक्षित स्थान पर लाया गया था। अभी भी ढाई सौ के लगभग लोग उसी किनारे पर हैं जो नदी से चौतरफा घिरा हुआ है। इन लोगों ने घर और मवेशी छोड़ कर जाने से मना कर दिया। समदहा गांव में ही प्रशासन ने लंच पैकेट बनवाए हैं। फिलहाल यह पानी के बीच फंसे लोगों तक पहुंचाए जा रहे हैं।
घाघरा नदी भी बढ़ी हुई है और इसका पानी रामनगर बगहा, लालापुर सुजानपुर, बिजहा, बाछेपारा, हरसिंहपुर आदि गांवों में घुस रहा है। यहां फिलहाल घरों में पानी नहीं घुसा है लेकिन अधिकांश रास्ते और खेत में पानी हैं। खेतों में मेंथा की सैकड़ों बीघा फसल चौपट हो गई है। किसानों की यह नकदी फसल जून में ही कटने वाली थी लेकिन, बाढ़ के कहर से मेंथा किसान तबाह हो गए हैं।