रामानंदी पुल के पास हाथियों के झुंड ने फसलों को रौंदा

मैलानी वनक्षेत्र में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 12:14 AM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 12:14 AM (IST)
रामानंदी पुल के पास हाथियों के झुंड ने फसलों को रौंदा
रामानंदी पुल के पास हाथियों के झुंड ने फसलों को रौंदा

लखीमपुर : मैलानी वनक्षेत्र में हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। क्षेत्र बदलकर हाथियों का झुंड किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है। मैलानी क्षेत्र के जंगल में अपना डेरा जमाए हुए हैं। अंधकार होते ही जंगल के पास के किसानों के खेतों पहुंचकर गन्ने धान की फैसलों को चरने के साथ पैरों से रौंदकर फसलों को बर्बाद कर रहे हैं। किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। गुरुवार की रात एक बार फिर रामानंदी पुल के पास हाथियों के झुंड ने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया। मैलानी वन रेंज की महुरैना बीट में हाथियों ने महेश नारायण सेठ, बलजीत सिंह आदि किसानों के खेत में धान व गन्ने की फसलों को नुकसान पहुंचाया। वहीं कुछ किसानों की फसलों के बीच से निकलकर जंगल की तरफ निकल गए। ग्रामीणों ने बताया की हाथी दिन में जंगल में चले जाते हैं। वन विभाग की टीम सूचना पर पहुंच कर मुआवजा दिलवाने के लिए आश्वासन देती लेकिन, पहले हुए किसानों के नुकसान का अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। वन विभाग के वन दारोगा सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि गुरुवार की रात जंगल के किनारे के खेतों के पास से निकले हैं लेकिन, बिना नुकसान किए जंगल में चले गए थे। अधिवक्ता हमले मामले में विपक्षी ने डीएम से की निष्पक्ष जांच की मांग पिछले तीन दिनों से अधिवक्ता पर हमले के मामले में शुक्रवार को विपक्षी अमन अवस्थी ने डीएम को भेजे पत्र में संज्ञान कराया कि वह गोला पालिका परिषद का सभासद है। उसके सहयोगी शकील का एक मुकदमा तहसील में चल रहा है। जिसमें अधिवक्ता लाल बिहारी ने शकील को फोन कर मुलाकात करने व तीन लाख रुपये की व्यवस्था कराए जाने की मांग की। जिसपर उसने शकील के कहने पर उक्त अधिवक्ता से बात करने का प्रयास किया। जिसपर वह भड़क गए और कहा कि पैसे देने से मना कर रहे हो। इसका परिणाम भुगतने को तैयार रहो। 19 जुलाई को वह लखनऊ गया था। जिसका परिणाम मौजूद है। इसके बावजूद विपक्षी अधिवक्ता ने उसे फंसाने के लिए षणयंत्र रचकर गोला थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। अन्यथा वह सभासदों के साथ धरना प्रदर्शन व भूख हड़ताल करने के लिए विवश होगा।

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