विश्वविद्यालय की गलती से शुरू हो गया छात्रों का दोहन

लखीमपुर हर साल की तरह इस बार भी विश्वविद्यालय की गलती की वजह से छात्रों का आर्थिक शोषण होना तय है। किसी का नाम गलत किसी का पता गलत किसी का रोल नंबर गलत और इस बार तो रिजल्ट ही इन कंप्लीट कानपुर विश्वविद्यालय का यह झमेला यहां पहली बार नहीं हो रहा। दरअसल इसके पीछे छात्रों के शोषण की पूरी तैयारी की गई है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Jun 2019 10:54 PM (IST) Updated:Wed, 12 Jun 2019 10:54 PM (IST)
विश्वविद्यालय की गलती से शुरू हो गया छात्रों का दोहन
विश्वविद्यालय की गलती से शुरू हो गया छात्रों का दोहन

लखीमपुर : हर साल की तरह इस बार भी विश्वविद्यालय की गलती की वजह से छात्रों का आर्थिक शोषण होना तय है। किसी का नाम गलत किसी का पता गलत, किसी का रोल नंबर गलत और इस बार तो रिजल्ट ही इन कंप्लीट कानपुर विश्वविद्यालय का यह झमेला यहां पहली बार नहीं हो रहा। दरअसल इसके पीछे छात्रों के शोषण की पूरी तैयारी की गई है। वाईडी कालेज के गेट से लेकर पूरे शहर में ऐसी कई दुकाने खुली हैं और मोबाइल सेवा भी चालू है जहां अपनी मार्कशीट सही कराने के लिए छात्र-छात्राओं को इन कमीशन एजेंटों का सहारा लेना मजबूरी बन गया है। कानपुर विश्वविद्यालय ने अपने नए एकेडमिक कलेंडर को पूरा करते हुए छात्रों के परिणाम तो घोषित कर दिए लेकिन जिले के 30 से 35 प्रतिशत छात्रों का रिजल्ट इनकंप्लीट ही शो कर रहा है। अब उसे कंप्लीट कराने के लिए छात्रों ने पापड़ बेलना शुरू कर दिया है।

एक छात्र से वसूले जाते हैं दो से ढाई हजार

सरकार कहती है कि भ्रष्टाचार को भगाना है लेकिन कैसे? हजारों छात्र जिन्होंने साल भर जीतोड़ मेहनत की है और परीक्षा दी है उनका रिजल्ट इनकंप्लीट है कालेज प्रशासन के पास उसे दुरुस्त कराने की कोई व्यवस्था नहीं है तर्क है कि गल्ती विश्वविद्यालय की है। अब दुकानों पर जाना छात्रों की मजबूरी है और उनसे ये गल्ती दूर कराने के लिए दो से ढाई हजार रुपये वसूले जाने शुरू कर दिए गए है। लाखों रुपये जमा कराकर ये कमीशन एजेंट कानपुर से ये दिक्कत दूर खुलेआम ये दावे हैं और उनके आगे छात्र लाचार है।

जिम्मेदार की सुनिए

ये सही है कि विश्वविद्यालय की गल्ती से छात्र परेशान होते हैं और उनका शोषण होता है। कालेज प्रशासन इसमें कुछ नहीं कर सकता। कानपुर ने कैलेंडर तो बना दिया लेकिन व्यवहारिकता की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। पहले कालेज प्रशासन ऐसी दिक्कतें स्पेशल मैसेंजर भेज कर दूर कराता था लेकिन अब हर चीज के टाइम बाउंड होने से ये संभव नहीं रहा। विश्वविद्यालय को इस समस्या की ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए।

डॉ. डीएन मालपानी

प्राचार्य, वाईडी कालेज।

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