मनमानी फीस वसूली के आगे बेबस है निजाम

लखीमपुर दो दिन पहले नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया। इसके साथ ही नौनिहालों को अच्छी पढ़ाई अ

By JagranEdited By: Publish:Wed, 04 Apr 2018 09:05 PM (IST) Updated:Wed, 04 Apr 2018 09:05 PM (IST)
मनमानी फीस वसूली के आगे बेबस है निजाम
मनमानी फीस वसूली के आगे बेबस है निजाम

लखीमपुर

दो दिन पहले नया शैक्षिक सत्र शुरू हो गया। इसके साथ ही नौनिहालों को अच्छी पढ़ाई और सुविधाएं देने के दावे की आड़ में मोटी फीस लेने वाले निजी स्कूलों के रूप में शिक्षा का बाजार भी सज गया है। इन स्कूलों में फीस का कोई मानक निर्धारित नहीं है। हर साल 10 से 15 फीसद फीस बढ़ाने वाले इन स्कूलों की मनमानी के आगे अभिभावक ही नहीं पूरा निजाम ही बेबस नजर आता है।

एक ओर जहां आरटीई एक्ट निश्शुल्क और अनिवार्य शिक्षा की बात करता है, वहीं ये निजी स्कूल मनमानी, मोटी फीस वसूल कर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं। बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए उन्हें अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाना हर अभिभावक की चाहत होती है। अभिभावकों की इसी चाहत और प्रतिस्पर्धा की अंधी दौड़ का फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं। अभिभावक इन निजी स्कूलों की मनमानी के मकड़जाल में ऐसे फंसे हैं कि साल भर फीस जमा करने के भारी दबाव में रहते हैं। बात यहीं नहीं खत्म होती, साल पूरा होने के बाद फीस में हुआ इजाफा उनके होश उड़ा देता है। इस शैक्षिक सत्र की हीे बात करें तो तकरीबन सभी बड़े निजी स्कूलों ने अपनी फीस में 10 से 15 फीसद का इजाफा किया है। इन स्कूलों की मनमानी ये है कि यहां तकरीबन सात-आठ सौ रुपये प्रति माह से लेकर साढ़े तीन-चार हजार रुपये प्रति माह फीस है। अब इस मनमानी के खिलाफ संगठन मुखर हो रहे हैं। दैनिक जागरण ने अभिभावकों की इस ज्वलंत समस्या पर विशेष सीरिज शुरू की है। जिसमें मोटी फीस से लेकर कई मुद्दों पर कान्वेंट स्कूलों की मनमानी पर रोशनी डाली जाएगी। पहले दिन मोटी फीस के पैकेज पर बात कर रहे हैं।

निजी स्कूलों की फीस (अनुमानित)

-पीजी से नर्सरी-केजी तक : 25 सौ से 45 सौ रुपये प्रति तिमाही।

-कक्षा एक से तीन तक : 45 सौ से 55 सौ रुपये प्रति तिमाही।

-कक्षा चार स पांच तक : 55 सौ से 65 सौ रुपये प्रति तिमाही।

-कक्षा छह से आठ तक : 65 सौ से 85 सौ रुपये प्रति तिमाही।

-कक्षा नौ से 12वीं तक : 85 सौ से 12 हजार रुपये प्रतिमाही।

-प्रवेश शुल्क : औसतन तीन से चार हजार रुपये।

जिम्मेदार की सुनिए

'ऐसा कोई आदेश उनको सीबीएसई बोर्ड की ओर से हमें नहीं मिला। जिसमें फीस कितनी हो ये लिखा हो। ये जरूर है कि स्कूलों को फीस हिसाब भर लेनी चाहिए, यदि कोई शिकायत उनको मिलती है तो वह उस पर कार्रवाई जरुर करेंगे। '

डॉ. आरके जायसवाल, डीआईओएस

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