घर-घर हुआ तुलसी विवाह और सालिग्राम का पूजन

लखीमपुर : देव प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर घर-घर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। इस मौके पर लोगों ने भ

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 11:08 PM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 11:08 PM (IST)
घर-घर हुआ तुलसी विवाह और सालिग्राम का पूजन
घर-घर हुआ तुलसी विवाह और सालिग्राम का पूजन

लखीमपुर : देव प्रबोधिनी एकादशी के अवसर पर घर-घर तुलसी विवाह का आयोजन किया गया। इस मौके पर लोगों ने भगवान सालिग्राम की पूजा की। भगवान विष्णु की पूजा का यह पर्व सनातन धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है। जिसे देवोत्थानी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। दीपावली से 11वें दिन कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी देवोत्थानी एकादशी के नाम से जानी जाती है। इस मौके पर भगवान को नई फसल के रूप में पारंपरिक रूप से गन्ना अर्पित किया जाता है। सुबह से शहर की सड़कों के किनारे चौराहों पर गन्ने की भी बिक्री हुई। दस रुपये से 15 रुपये में गन्ने का जोड़ा बिका। घरों में लोगों ने भगवान को गन्ने का भोग लगाया। मंदिरों के अलावा घरों में भी विष्णु सहस्त्रनाम के पाठ करने का क्रम जारी रहा।

एकादशी पर हुई पूजा-अर्चना

पलियाकलां : देवोत्थानी एकादशी पर पूजा-अर्चना की गई। इस दिन चौक आदि बनाकर उसपर गन्ना खड़ा कर पूजा अर्चना की जाती है। सुबह से लेकर शाम तक खेतों में गन्ना लेने के लिए लोगों की भीड़ भी जमा रही। देवोत्थानी एकादशी के दिन से विवाह, गृहप्रवेश तथा अन्य सभी मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। भगवान विष्णु भाद्रपद मास की शुक्ल एकादशी को महापराक्रमी शंखासुर नाम राक्षस को लंबे युद्ध के बाद समाप्त करके क्षीरसागर में जाकर सो गए थे। चार माह बाद जब वह उठे तो वह दिन देवोत्थानी एकादशी कहलाया।

chat bot
आपका साथी