सैन्य प्रशिक्षण भी लेंगे आदिवासी बच्चे, 100 चयनित

जिले से लगी भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय बच्चे अब पढ़ाई-लिखाई के साथ एनसीसी ट्रेनिंग भी लेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 10:32 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 10:32 PM (IST)
सैन्य प्रशिक्षण भी लेंगे आदिवासी बच्चे, 100 चयनित
सैन्य प्रशिक्षण भी लेंगे आदिवासी बच्चे, 100 चयनित

लखीमपुर : जिले से लगी भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय बच्चे अब पढ़ाई-लिखाई के साथ ही बुनियादी सैन्य प्रशिक्षण भी आसानी से पा सकेंगे। सीमाई इलाकों के बच्चों को देश की सुरक्षा के लिए शुरुआत से ही तैयार करने और समय आने पर उनकी मेधा का सही दिशा में इस्तेमाल हो सके, इसके लिए उन्हें एनसीसी (राष्ट्रीय कैडेट कोर) का प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा। इसके लिए सीमा क्षेत्र के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय बेलापरसुआ, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय चंदनचौकी में एनसीसी लागू कर दी गई है। एनसीसी लागू होने के बाद तीनों विद्यालयों में 25 वर्ष बाद 100 जनजातीय छात्र-छात्राओं का चयन हुआ है, जिन्हें ट्रेनिग दिलाई जाएगी।

पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव के बीच सरहदी इलाकों के युवाओं को सैन्य प्रशिक्षण देने के लिए सेना ने तैयारी की है। इसी कड़ी के तहत एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के 50, राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय बेलापरसुआ में 25 और राजकीय आश्रम पद्धति विद्यालय चंदनचौकी की 25 छात्राएं चुनी गई हैं। उन्हें प्रशिक्षण देने के लिए स्कूल के वरिष्ठ शिक्षकों केयर टेकर नियुक्त करते हुए ट्रेनिग भी दी जा चुकी है। सेना के यूपी बटालियन ने सीमाई इलाके के इन विद्यालयों में कार्यालय खोल दिया है और अपना फ्लैग भी दिया है। अधिकारियों का कहना है कि इन छात्र-छात्राओं को एक साल तक एनसीसी की ट्रेनिग दी जाएगी और इसके बी व सी ग्रेड का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। छात्रों की ट्रेनिग के लिए असलहे दे दिए गए हैं। इन छात्रों को प्रशिक्षण के लिए अन्य जिलों में भी भेजा जाएगा। एनसीसी ट्रेनिग मिलने से आदिवासी इलाके के इन तीनों विद्यालयों के बच्चे बेहद उत्साहित हैं। जिम्मेदार की सुनिए

परियोजना अधिकारी यूके सिंह कहते हैं कि राजकीय आश्रम पद्वति विद्यालयों की स्थापना 1995 में हुई थी, लेकिन कभी यहां आदिवासी बच्चों को एनसीसी की ट्रेनिग नहीं दी गई है। पहली बार विद्यालयों में यह व्यवस्था लागू हुई है। इससे छात्रों का शैक्षिक, सामाजिक और शारीरिक विकास होगा और वे राष्ट्रभक्ति की भावना से प्रेरित होंगे। अब ये बच्चे सेना और दूसरी नौकरियों में जा सकेंगे।

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