मौसम का बदला मिजाज, किसानों की बढ़ी धड़कन

कुशीनगर में फसल कटाई के लिए नहीं मिल रहे कामगार समय पर कंबाइन न मिलने से बढ़ती जा रही परेशानी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 12:51 AM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 12:51 AM (IST)
मौसम का बदला मिजाज, किसानों की बढ़ी धड़कन
मौसम का बदला मिजाज, किसानों की बढ़ी धड़कन

कुशीनगर: मौसम के बदले मिजाज ने गेहूं की कटाई, मड़ाई के प्रबंध में लगे किसानों की चिता बढ़ा दी है। बीते तीन दिन से तेज पछुआ हवा के बाद बुधवार को अचानक आसमान में बदली छाने से किसानों के होश उड़ गए हैं। फसल तैयार है। कोराना संक्रमण के चलते मजदूर कम मिल रहे हैं। समय पर कंबाइन के न आने की वजह से किसान परेशान हैं।

क्षेत्र के किसान दिनेश कुमार, हेमंत कुमार, कपिलदेव गुप्ता, अशर्फी, राजाराम, शंभू गोंड आदि का कहना है कि किसान तो पूरी तरह प्रकृति पर ही निर्भर रहता है। बीते सीजन में कई फसलें मौसम की भेंट चढ़ चुकी हैं। बड़ी संख्या में किसान गेहूं काटकर अभी एकत्रित भी नहीं कर पाए हैं, जिससे बारिश होने पर फसल बर्बाद होने की आशंका है। मौसम के रूख को देख किसान फसल काटने से लेकर उसे खेत में एकत्रित करने में जुटे हैं ताकि शीघ्र मड़ाई की जा सके और गाढ़ी कमाई सुरक्षित घर पहुंच सके। जिला कृषि अधिकारी प्यारे लाल ने बताया कि जो किसान गेहूं की फसल काट चुके हैं, उसे एकत्रित कर लें, ताकि किसी प्रकार की दिक्कत न हो। इस मौसम में सतर्क रहने की जरूरत है।

गन्ना मूल्य का भुगतान न मिलने से किसान परेशान

कप्तानगंज चीनी मिल की ओर बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान न किए जाने से कोरोना काल में किसानों को आर्थिक परेशानी से जूझना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि कोरोना काल में आर्थिक गतिविधियां ठप होने से रोजगार मिलना मुश्किल हो गया है। गन्ना मूल्य से ही किसान परिवार का खर्च चलता है।

क्षेत्र के किसान चंद्रिका, रामहरख, कमलेश, जगदीश, कासिम, उमेश, राधेश्याम आदि का कहना है कि अगर प्रशासन कप्तानगंज चीनी मिल पर भुगतान के लिए दबाव नहीं बनाएगा तो किसानों की दशा और भी बदतर हो जाएगी। सहकारी गन्ना विकास समिति लक्ष्मीगंज के माध्यम से क्षेत्र के खोटही, दिउलिहा मनिया छापर, रामपुर बगहा, पगार, बगहा खुर्द, फुलवरिया आदि गांवों के किसान अपना गन्ना कप्तानगंज चीनी मिल को देते हैं। समिति के सचिव उपेंद्र सिंह ने बताया कि तीन दिसंबर तक का भुगतान किसानों को दिया जा चुका है। शेष बकाये के भुगतान का प्रयास किया जा रहा है।

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