सातवें दिन भक्तों ने की मां कालरात्रि की आराधना

नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के भक्तों ने आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाली मां की पूजा की मां दुर्गा के इस रूप की उपासना करने वालों की नहीं होती अकाल मृत्यु।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Apr 2021 01:01 AM (IST) Updated:Tue, 20 Apr 2021 01:01 AM (IST)
सातवें दिन भक्तों ने की मां कालरात्रि की आराधना
सातवें दिन भक्तों ने की मां कालरात्रि की आराधना

कुशीनगर : नवरात्रि के सातवें दिन मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि की पूजा की गई। इनके स्वरूप के कारण ही इनका नाम कालरात्रि पड़ा, क्योंकि इनका वर्ण अंधकार की भांति एकदम काला है। बाल बिखरे हुए हैं और इनके गले में दिखाई देने वाली माला बिजली की भांति देदीप्यमान है। मां का यह स्वरूप आसुरी शक्तियों का विनाश करने वाला है। इनके तीन नेत्र हैं और चार हाथ हैं। एक हाथ में तलवार, दूसरे में लौह अस्त्र, तीसरे हाथ में अभयमुद्रा और चौथे हाथ में वरमुद्रा है। इनका वाहन गधा है। मां की उपासना करने वालों की अकाल मृत्यु नहीं होती।

सोमवार सुबह से ही देवी मंदिरों में श्रद्धालु पूजा करने पहुंचने लगे। नगर स्थित बुढि़या माई मंदिर, खिरकिया देवी स्थान पर श्रद्धालुओं ने पूजा की। खड्डा स्थित कोट देवी स्थान, शायरी माई मंदिर, गायत्री मंदिर में भी पूजन-अर्चन का क्रम लगा रहा। पुजारी सुरेंद्र मिश्र, सच्चिदानंद शुक्ल, नत्थू पांडेय आदि ने बताया कि मां कालरात्रि अपने भक्तों की मनोकामना जरूर पूर्ण करती हैं। मंदिर आए श्रद्धालुओं से कोविड नियमों का पालन अनिवार्य रूप से कराया जा रहा है। खन्हवार माई मंदिर में नवरात्र के अंतिम सोमवार को दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचे। कोविड को लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से जरूरी इंतजाम किया गया है। शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए कतारबद्ध श्रद्धालु एक एक कर पूजन-अर्चन किए। देर शाम तक मंदिर में पूजन-अर्चन का कार्यक्रम चलता रहा। रामकोला स्थित धर्म समधा भगवती, मैनपुर कोट, कुलकुला देवी, चेड़ा माई मंदिर, काली मंदिर, काली मां स्थान पर भी भक्तों ने मां कालरात्रि की पूजा की। कोरोना संक्रमण के बावजूद भक्तों का आनाजाना लगा रहा।

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