परिवार की ताकत ने चूर किया कोरोना का गुरूर

परिवार के प्यार-दुलार ने एक दूसरे को संबल दिया। इससे बीमारी से लड़ने का आत्मबल बढ़ता गया। भोजन अलग-अलग बनाते थे लेकिन लक्ष्य एक था कोरोना को हराना। एक दूसरे से कहते कि हम सब मिलकर इसको जरूर हराएंगे। घर में ही मोबाइल से एक दूसरे से बात करते।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 11:59 PM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 11:59 PM (IST)
परिवार की ताकत ने चूर किया कोरोना का गुरूर
परिवार की ताकत ने चूर किया कोरोना का गुरूर

कुशीनगर: परिवार की ताकत आपदा के समय जब ढाल बनकर खड़ी होती है तो बड़ी से बड़ी मुश्किलों व चुनौतियों को भी हार माननी पड़ती है।यह कोरोना के इस भयावह त्रासदी के दौर में भी देखने को मिला। फाजिलनगर विकास खंड के गांव विशुनपुरा निवासी रामाशीष उपाध्याय के 12 सदस्यीय संयुक्त परिवार के संबल ने कोरोना के गुरूर को चूर कर हरा दिया।

रामअशीष तरयासुजान स्वास्थ्य केंद्र पर लैब टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत हैं। कोरोना के सैंपल की जांच की जिम्मेदारी इनके ऊपर थी। ड्यूटी के दौरान ही वह संक्रमण के शिकार हो गए। 23 अप्रैल को जब तक जांच रिपोर्ट आती परिवार के अन्य सदस्य पत्नी बीनू, भाई सुधाकर व उनकी पत्नी शीला, छोटे भाई देवानंद उपाध्याय, बच्चे प्राची उपाध्याय, मन्केत, संकेत, प्रतिज्ञा, आरोही समेत सभी सदस्य संक्रमित हो चुके थे। रिश्तेदारों आदि ने अस्पताल में भर्ती होकर इलाज की बात कही। लखनऊ में रह रहे सबसे छोटे भाई अरुण ने भी यही सलाह दी तो परिवार के सदस्यों का जवाब मिला कि सुख-दुख मिलकर बांटा -काटा है तो कोरोना को भी मिलकर हराएंगे। चिकित्सक की सलाह पर परिवार के सदस्य घर के अलग-अलग कमरे व बरामदे आदि में एक निश्चित दूरी बनाकर रहने लगे। दवा लेनी शुरू की। इस बीच परिवार के प्यार-दुलार ने एक दूसरे को संबल दिया। इससे बीमारी से लड़ने का आत्मबल बढ़ता गया। भोजन अलग-अलग बनाते थे, लेकिन लक्ष्य एक था कोरोना को हराना। एक दूसरे से कहते कि हम सब मिलकर इसको जरूर हराएंगे। घर में ही मोबाइल से एक दूसरे से बात करते। हंसी ठिठोली करते रहे, कोरोना के भय को पास फटकने ही नहीं दिए। संयुक्त परिवार के इस संबल के आगे आखिरकार कोरोना को हारकर घर से बाहर निकलना पड़ा। 20 दिन बाद 13 मई को पूरे परिवार की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई तो गांव के लोग परिवार की एकजुटता व आत्मबल के कायल हो गए।

परिवार की संयुक्त ताकत से हारा कोरोना

- परिवार की संयुक्त ताकत से कोरोना हारा। जब पूरा परिवार साथ बीमारी से लड़ रहा था तो बीमारी कैसे जीत सकती थी, उसको हारना ही था। संक्रमण के 20 दिनों में हम एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रह तो प्यार-दुलार भी एक दूसरे पर पहले की ही तरह लुटाते रहे।

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