पुलिस पेंशनर्स की समस्याओं का करें त्वरित समाधान
कुशीनगर में पुलिस अधीक्षक ने पेंशनरों के साथ बैठक कर उनकी समस्याओं के समाधान का निर्देश संबंधित कर्मचारियों को देते हुए कहा कि रिटायर होने के बाद भी पुलिसकर्मी का समाज के प्रति दायित्व है उन्हें चाहिए कि वह अपने अनुभव के जरिये विभाग की मदद करें।
कुशीनगर : पुलिस लाइंस सभागार में सोमवार को पुलिस पेंशनर्स की बैठक हुई। इसमें पेंशनरों ने समस्याएं बताईं। जिसका संज्ञान लेते हुए पुलिस अधीक्षक सचिन्द्र पटेल ने संबंधित अधिकारियों को त्वरित समाधान के निर्देश दिए।
बैठक में एसपी ने कहा कि पेंशनरों की समस्याओं का समाधान उनकी प्राथमिकता में शामिल है। पेंशनरों की सहूलियत के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं, ताकि उन्हें किसी भी तरह की असुविधा न हो। पेंशनर अपनी समस्याएं वाट्सएप ग्रुप के जरिये भी बता सकते हैं। इससे उन्हें बेवजह जिला मुख्यालय आने से निजात मिलेगी। पेंशनरों ने चिकित्सा प्रतिपूर्ति की समस्या बतायी। जिसका संज्ञान लेते हुए एसपी ने संबंधित पटल प्रभारी को समस्याओं के त्वरित निस्तारण का निर्देश दिए। इसी तरह पेंशनरों ने डिजिटल पहचान-पत्र को लेकर आ रही दिक्कतों से अवगत कराया। इस पर पुलिस अधीक्षक ने शीघ्र ही सभी को डिजिटल पहचान-पत्र जारी कराए जाने का विश्वास दिलाया। पुलिस अधीक्षक ने अपील की कि सेवानिवृत्त पुलिसकर्मी अपने अनुभव के जरिये विभाग का सहयोग करें। जिससे पुलिस प्रणाली को और सु²ढ़ बनाया जा सके। एसपी ने कहा कि पुलिसकर्मी सिर्फ पद से सेवानिवृत्त होते हैैं, समाज के प्रति उनके दायित्व बने रहते हैं। ऐसे में रिटायर पुलिसकर्मी अपने सामाजिक दायित्व के प्रति सदैव तत्पर रहें। कृष्णचंद्र शुक्ल, राधेश्याम शर्मा आदि मौजूद रहे।
थानों में नहीं है महिला शौचालय, होती है परेशानी
स्वच्छता अभियान को लेकर केंद्र व प्रदेश सरकार करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। चहुंओर सफाई का ढिंढोरा पीटा जा रहा है लेकिन तमकुहीराज सर्किल के थानों पर महिला फरियादियों के लिए न तो शौचालय बनवाया गया है और न ही वाशरूम। ऐसी स्थिति में आवश्यकता पड़ने पर पीड़िताओं को इधर-उधर भटकने या खुले में जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। थानों पर तैनात जिम्मेदारों को इसका अफसोस भी है, लेकिन वे अपनी बात कहने में असमर्थ है।
तमकुहीराज सर्किल के पांच थाने तरयासुजान, पटहेरवा, सेवरही, विशुनपुरा व बरवापट्टी हैं। यहां शौचालय तो हैं, लेकिन अलग से महिला शौचालय नहीं हैं। फरियाद लेकर थाना व कोतवाली आने वाली पीड़िताओं को यहां समस्या का सामना करना पड़ता है। बावजूद इसके महिला शौचालयों के निर्माण को लेकर न शासन गंभीर है और न ही स्वयंसेवी संस्थाएं ही ध्यान दे रही हैं। इस परेशानी का सामना महिला पुलिस कर्मियों को भी करना पड़ता है। नाम न छापने की शर्त पर कई महिला पुलिस कर्मियों व फरियादियों ने बताया कि महिला शौचालय न होने से काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।
सीओ तमकुहीराज फूलचंद कन्नौजिया ने कहा कि थानों में अलग से महिला शौचालय नहीं है, लेकिन उपलब्ध शौचालयों में महिलाओं के लिए एक हिस्सा आरक्षित कर दिया गया है, ताकि किसी को परेशानी न हो।