नामांकन के साथ चढ़ने लगा सियासी पारा

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए नामांकन के साथ ही सियासी पारा चढ़ने लगा है। सपा के सामने अपनों को सहेजने की चुनौती है तो भाजपा के साथ सत्ता का सहयोग। अध्यक्ष की कुर्सी पर हरहाल में भाजपा काबिज होना चाहती तो सपा के सामने तीन कदम का फासला है, परिस्थितियां भी बदली हुई हैं। बीते नौ अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद हुए मतदान में मात्र दो मतों से हरीश राणा को कुर्सी गंवानी पड़ी थी। अध्यक्ष राणा के पक्ष में 31 सदस्यों ने भरोसा जताया था तो अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों के पक्ष में 33 मत पड़े थे

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 11:39 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 11:39 PM (IST)
नामांकन के साथ चढ़ने लगा सियासी पारा
नामांकन के साथ चढ़ने लगा सियासी पारा

कुशीनगर : जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए नामांकन के साथ ही सियासी पारा चढ़ने लगा है। सपा के सामने अपनों को सहेजने की चुनौती है तो भाजपा के साथ सत्ता का सहयोग। अध्यक्ष की कुर्सी पर हरहाल में भाजपा काबिज होना चाहती तो सपा के सामने तीन कदम का फासला है, परिस्थितियां भी बदली हुई हैं। बीते नौ अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद हुए मतदान में मात्र दो मतों से हरीश राणा को कुर्सी गंवानी पड़ी थी। अध्यक्ष राणा के पक्ष में 31 सदस्यों ने भरोसा जताया था तो अविश्वास प्रस्ताव लाने वालों के पक्ष में 33 मत पड़े थे। उप चुनाव के लिए पर्दा के पीछे चल रहे जोड़-तोड़ में शह मात का खेल शुरू हो गया है। तत्कालीन सपा सरकार में हुए कुशीनगर जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव के दौरान परिस्थितियां दूसरी थीं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस पद के लिए उस समय भी सपा-भाजपा आमने सामने रही। भाजपाइयों ने लाख कोशिश की, लेकिन यह सीट तत्कालीन सपा विधायक डा. पूर्णमासी देहाती के बेटे की झोली में चली गई थी। उसी समय से अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपाइयों की नजर गड़ी रही और सूबे में अपनी सरकार आ जाने के बाद उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के जरिये जिला पंचायत अध्यक्ष राणा को हटवा दिया। मौजूदा समय में समीकरण पहले जैसा नहीं रहा, कुर्सी पर दोबारा काबिज होने के लिए सपा को अपने लोगों को सहेजने के साथ दूसरे खेमे के लोगों को भी जोड़ना होगा।

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पुराने खिलाड़ी ही दोबारा मैदान में

--जिला पंचायत अध्यक्ष के उप चुनाव में पुराने खिलाड़ी ही दोबारा मैदान में उतरे हैं। बीते चुनाव में भाजपा से विनय कुमार गोंड व सपा से हरीश राणा मैदान में उतरे थे। राणा ने चुनाव जीत कर कुर्सी पर कब्जा किया था। इस बार भी भाजपा ने विनय तो सपा ने हरीश पर ही दांव खेला है। हालांकि तुफानी व मीना देवी ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया है। हालांकि माना जा रहा कि दोनों निर्दल उम्मीदवार दोनों खेमे के डम्मी हैं। 22 सितंबर को पर्चा वापसी के दौरान इनके द्वारा अपना नामांकन पत्र वापस ले लिए जाने की पूरी संभावना है।

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