अंत:करण का परिवर्तन ही परिनिर्वाण: मोरारी बापू

कुशीनगर में नौ दिवसीय मानस निर्वाण रामकथा में मोरारी बापू ने कहा कि सनातन धर्म नहीं बल्कि शाश्वत नियम है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 11:35 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 11:35 PM (IST)
अंत:करण का परिवर्तन ही परिनिर्वाण: मोरारी बापू
अंत:करण का परिवर्तन ही परिनिर्वाण: मोरारी बापू

कुशीनगर: भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में चल रही नौ दिवसीय मानस निर्वाण रामकथा के छठवें दिन गुरुवार को प्रख्यात कथा वाचक मोरारी बापू ने कहा कि व्यक्ति के अंत:करण के परिवर्तन का नाम ही परिनिर्वाण है। ब्रम्होपनिषद के एक भाग में निर्वाण मंत्र की व्याख्या करते हुए कहा कि अनुभव मन को होता है और अनुभूति आत्मा को होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अनुभव को मन की बात में साझा करते हैं। वाणी भी एक भोग है और गूंजन में स्वाद। स्वाद वस्तु में नहीं होता है।

मोरारी बापू ने कहा कि कथा वाचक साधु पुरुषों के द्वारा गाए गए शब्दों का गूंजन करते हैं। शब्द का श्रवण गूंजन है तो शब्द माध्यम है। भंवरा में गूंजन है तो कोकिल में कुंजन। बुद्ध ने संघम शरणं गच्छामि की बात कही। सबकी शरण में जाने से निर्वाण यात्रा में सहूलियत होती है। जहां निर्वाण है वहां कोई लोक नहीं। निर्वाण पथ अलंकार युक्त है। निर्वाण यात्रा में हमारे शिवा कोई देव नहीं होता। सनातन धर्म नहीं, बल्कि शाश्वत नियम है। कथा संत प्रवाह है, हौसला बढ़ाने का कार्य करती है। यह अमिट प्रवाह है। तुलसीदास ने रामचरित मानस स्वांत: सुखाय के लिए लिखा। राम भजन से मुक्ति पीछे-पीछे आएगी। एक सूत्र में बुद्ध के शब्दों में निर्वाण की व्याख्या करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि वह रास्ता जो समझ आ जाए, वही निर्वाण है। बुद्ध सहज जीने की बात करते हैं। जो जागता है उसे रात लंबी लगती है, जो थक जाता है उसे रास्ता दूर लगता है, जो निर्वाण से अनभिज्ञ हैं उन्हें संसार बड़ा लगता है। राम नाम निर्वाण पद है। एक कथा के माध्यम से कहा कि जिस घर में अतिथि भोजन न करते हों, वह श्मशान के समान है।

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