नारायणी का बढ़ा जलस्तर, दियारा के लोग चितित

कुशीनगर में वाल्मीकिनगर बैराज से छोड़ा 2.35 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया उसके बाद नदी उस पार के गांवों में तीसरी बार बाढ़ की आशंका बढ़ गई है लोग दहशत में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 12:54 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 12:54 AM (IST)
नारायणी का बढ़ा जलस्तर, दियारा के लोग चितित
नारायणी का बढ़ा जलस्तर, दियारा के लोग चितित

कुशीनगर : पड़ोसी देश नेपाल और सीमावर्ती इलाकों में चार दिनों से हो रही बारिश के बाद वाल्मीकिनगर बैराज का डिस्चार्ज बुधवार की शाम अचानक बढ़ गया। एक दिन पहले रहा 61 हजार क्यूसेक का डिस्चार्ज बढ़कर शाम चार बजे 2.035 लाख हो गया है। इससे नारायणी उफना गई है और दियारा के गांवों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। दूसरी ओर बारिश की वजह से धान की फसल को भी काफी क्षति पहुंची है।

नारायणी का जलस्तर बढ़ने से खड्डा ब्लाक के नदी उस पार महदेवा, सालिकपुर, मरिचहवां, शाहपुर, विध्याचलपुर, हरिहरपुर, नारायनपुर, शिवपुर आदि गांवों में इस साल तीसरी बार बाढ़ की आशंका बढ़ गई है। दियारा की 25-30 हजार की आबादी बाढ़ की संभावना से सहमी हुई है। महदेवा के प्रधान के पति नथुनी कुशवाहा, हरिहरपुर के हिरामन निषाद, नारायनपुर के प्रधान नरसिंह प्रसाद आदि ने बताया कि अगर नदी के डिस्चार्ज में बढ़ोत्तरी हुई तो रात में गांव में बाढ़ का पानी घुस जाएगा। बाढ़ खंड के एसडीओ मनोरंजन राय ने बताया कि दो घंटे से डिस्चार्ज 2.035 लाख क्यूसेक के आसपास ही बना हुआ है। अगर डिस्चार्ज बढ़ेगा तो नदी के किनारे के गांवों में पानी घुसने की संभावना है।

इस साल दो बार झेल चुके हैं बाढ़ की दुश्वारी

15 जून 2021 को समय से पहले इस साल खड्डा ब्लाक के करीब एक दर्जन गांवों में बाढ़ ने दस्तक दिया था। प्रशासन की बाढ़ से बचाव की तैयारी धरी रह गई थी। 26 अगस्त को वाल्मीकिनगर बैराज से 4.04 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद दियारा में बाढ़ आ गई थी। अब फिर नारायणी के उफनाने से ग्रामीण चितित हैं।

खेतों में जलभराव के चलते डूब गई पूंजी

लगातार मौसम की बेरुखी ने किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है। बारिश से धान की अगेती प्रजाति की फसल को काफी क्षति पहुंची है। अधिकांश किसानों की फसल पक कर तैयार है। खेतों में पानी भर जाने से कटाई व मड़ाई करना संभव नहीं है। फसल को बर्बाद होते व पूंजी डूबते देख किसान चितित हैं। उन्हें गृहस्थी चलाने की चिता सताने लगी है।

किसान दीपक शर्मा का कहना है कि उनके साथ ही गांव के दर्जनों लोगों की धान की फसल पक कर तैयार है। लगातार बारिश से खेत में पानी भर गया है। जलनिकासी का प्रबंध नहीं होने से फसल बर्बाद हो रही है। रामेश्वर कुशवाहा ने बताया कि उन्होंने अगेती प्रजाति के धान की बोआई की थी। एक हफ्ते में फसल काटने की तैयारी कर रहे हैं। खेत में एक फीट पानी भरा हुआ है। कब मौसम साफ होगा, पानी कब तक सूखेगा और कब फसल काटी जाएगी, इसका कोई ठिकाना नहीं है। हरि प्रसाद ने बताया कि बारिश से सब्जी की खेती भी चौपट हो गई है। बैगन व मूली के पौधे पानी में डूब गए हैं। पूंजी कैसे बचेगी, समझ में नहीं आ रहा है। रमेश कुमार का कहना है कि बारिश से पक कर तैयार धान की फसल डूब गई है। हवा से गन्ना गिर गया है।

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