बुद्ध मंदिर में चीवर चढ़ाने वाले पहले प्रधानमंत्री होंगे मोदी
कुशीनगर के महापरिनिर्वाण मंदिर में स्थित बुद्ध की शयन मुद्रा की प्रतिमा अपने आप में अद्भुत है प्रतिमा के सिर पैर व मध्य भाग से अलग-अलग अर्थ निकलते हैं कई प्रधानमंत्री आ चुके हैं कुशीनगर मंदिर नहीं गया कोई।
कुशीनगर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी महापरिनिर्वाण मंदिर में शयन मुद्रा वाली बुद्ध प्रतिमा पर चीवर चढ़ाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे। कुशीनगर में यूं तो इंदिरा गाधी, चंद्रशेखर और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के रूप में आकर सभा कर चुके हैं, लेकिन मंदिर कोई नहीं गया। राष्ट्रपति रहते एपीजे अब्दुल कलाम बुद्ध प्रतिमा का दर्शन कर शीश नवा चुके हैं। इसके अलावा म्यामार, थाईलैंड व भूटान के कई शासक और तिब्बती बौद्ध गुरु दलाईलामा भी यहा बुद्ध पूजा कर चुके हैं।
महापरिनिर्वाण मंदिर में बुद्ध की 5वीं सदी की शयनमुद्रा की प्रतिमा है। महापरिनिर्वाण स्थली होने के नाते बुद्ध की शयनमुद्रा की प्रतिमा पूरे विश्व में यही है। ऐसे में दुनिया भर के बौद्ध अनुयायी यहा आते हैं। इस प्रतिमा की खासियत विभिन्न स्थानों से विभिन्न मुद्रा का दिखना भी है। सिर की तरफ से मुस्कुराती, मध्य से चिंतन व पैर की तरफ से देखने पर शयन मुद्रा का आभास कराती है। 20 अक्टूबर को कुशीनगर अन्तरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री श्रीलंकाई प्रतिनिधिमंडल के साथ यहा बुद्ध पूजा में शामिल होंगे।
कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष भंते एबी ज्ञानेश्वर बताते हैं कि यहा 1956 में प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का कार्यक्त्रम प्रस्तावित था, लेकिन आना नहीं हो पाया। तब केंद्र सरकार ने बुद्ध की 2500 वीं जयंती पर अंतरराष्ट्रीय समिट की थी। इसमें बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा, म्यामार के तत्कालीन प्रधानमंत्री ऊ नू समेत दुनिया भर से बौद्ध प्रतिनिधि आए थे। महापरिनिर्वाण मंदिर का वर्तमान स्वरूप उसी समय का है। यहां हर समय देसी व विदेशी पर्यटकों का तांता लगा रहता है। हर समय दर्शन व पूजन का क्रम चलता रहता है।