कुशीनगर में स्कंदमाता की पूजा कर निहाल हुए भक्त
कुशीनगर के देवी मंदिरों में वासंतिक नवरात्र के दिन मां दुगा के पांचवें रूप की हुई आराधना भगवान स्कंद की माता होने के कारण नाम पड़ा स्कंदमाता।
कुशीनगर : मां दुर्गा का पांचवां रूप स्कंदमाता के रूप में प्रसिद्ध है। भगवान स्कंद कुमार, कार्तिकेय, की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवें स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ। मां की चार भुजाएं हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं। इन्हें पद्मासना व विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है।
सुबह से ही जिले के देवी मंदिरों में श्रद्धालु पूजा पाठ के लिए पहुंचने लगे। जैसे ही कपाट खुला आरती-पूजन करने लगे। जयकारे से मंदिर का वातावरण भक्तिमय हो उठा। नगर स्थित बुढि़या माई मंदिर, खिरकिया देवी स्थान, खड्डा स्थित कोट देवी स्थान, शायरी माई मंदिर, गायत्री मंदिर में सुबह से शाम तक पूजन-अर्चन का क्रम लगा रहा। आस्था के केंद्र इन मंदिरों में भक्तगण द्वारा कोरोना से बचाव व जगत कल्याण की खातिर संक्षिप्त अनुष्ठान कराया गया। पुजारी सच्चिदानंद शुक्ल, नत्थू पांडेय आदि ने बताया कि मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए सभी कदम उठाए गए हैं। कोविड नियमों का पालन अनिवार्य रूप से कराया जा रहा है।
खन्हवार माई के दरबार में उमड़ी भीड़
कुबेरस्थान संवाददाता के अनुसार प्रसिद्ध खन्हवार माई मंदिर में श्रद्धालुओं की दिन भर भीड़ रही। दूर-दूर से श्रद्धालु मां का दर्शन करने पहुंचे थे। मंदिर का कपाट खुलते ही श्रद्धालु जय माता दी के नारे लगाते हुए परिसर में प्रवेश किए। कोविड को लेकर मंदिर प्रशासन की तरफ से जरूरी इंतजाम किया गया है। शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए कतारबद्ध श्रद्धालु एक-एक कर पूजन-अर्चन किए। रामकोला स्थित धर्म समधा भगवती, मैनपुर कोट, कुलकुला देवी, चेड़ा माई मंदिर, काली मंदिर, काली मां स्थान पर भी भक्तों की भीड़ सुबह से देर शाम तक बनी रही।