संकट में मानव जीवन, आइए पौधे लगाएं
पर्यावरण संकट आज एक गंभीर समस्या के रूप में सामने है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटान इस समस्या को और भी बढ़ा रही है। हालात अगर नहीं सुधरे तो वह दिन दूर नहीं जब मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ऐसे में यह जरूरी है कि हमसभी पौधे लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं और धरती को हरा-भरा बनाएं।
कुशीनगर: पर्यावरण संकट आज एक गंभीर समस्या के रूप में सामने है। पेड़-पौधों की अंधाधुंध कटान इस समस्या को और भी बढ़ा रही है। हालात अगर नहीं सुधरे तो वह दिन दूर नहीं जब मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। ऐसे में यह जरूरी है कि हमसभी पौधे लगाकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं और धरती को हरा-भरा बनाएं। पर्यावरण प्रहरी भी इस पर बल देते हुए जन-जन को जागरूक करने की अपील कर रहे हैं।
आइए धरती का कर्ज उतारें : गंगेश्वर
सेवानिवृत्त शिक्षक व पर्यावरण प्रहरी गंगेश्वर पांडेय कहते हैं कि पर्यावरण की बिगड़ती हुई स्थिति को सुधारना सभी के लिए बड़ी चुनौती है। इससे मानव जीवन संकट में पहुंच गया है। हर इंसान को कई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे हम तभी बच सकते हैं, जब हम अधिक से अधिक पौधारोपण करें। इससे आज तो नहीं, लेकिन आने वाला कल जरूर सुधर सकता है। अधिक से अधिक पौधे लगाकर हम आने वाली पीढ़ी के लिए हरी-भरी दुनिया की सौगात दे सकते हैं। धर्मशास्त्रों में भी पौधों का महत्व वर्णित है। वृक्ष को पुत्रों की संज्ञा दी गई है। सभी को संकल्प लेना होगा कि अधिक से अधिक पौधे लगाकर हम धरती का कर्ज उतारें।
आने वाली पीढ़ी को दें बेहतर उपहार : हरिशंकर
पूर्व प्रधानाचार्य हरिशंकर उपाध्याय कहते हैं कि प्रकृति व इंसान के बीच गहरा रिश्ता है। इस रिश्ते को बनाए रखना हर इंसान का धर्म है, पर अफसोस कि हम इस रिश्ते को भूलते जा रहे हैं। पौधों पर चल रहीं दिन-रात कुल्हाड़ियां गंभीर खतरे को निमंत्रण दे रही हैं। इसके परिणाम भी हमारे सामने हैं, पर हम चेतने को तैयार नहीं हैं। बिगड़ते संतुलन से बचाव के लिए पौधारोपण ही विकल्प है। ऐसे में हम सब अधिक से अधिक पौधे लगाएं और धरती को हरा-भरा बनाएं। नहीं तो कम होती हरियाली का असर हमारी सेहत के साथ-साथ आने वाली पीढि़यों पर भी साफ दिखेगा। कारण कि विकास के नाम पर वनों का कटान मानव जीवन को मुश्किल में डालना है।