कुशीनगर में बाढ़ का कहर : तेज हुआ ग्रामीणों का पलायन

कुशीनगर में लगातार मूसलधार बारिश के बाद मिली राहत गांव में पानी घुसने के बाद सुरक्षित ठिकाने की तलाश में ग्रामीण प्राथमिक विद्यालय व पुलिस चौकी में रह रहे लोग।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 12:49 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 12:49 AM (IST)
कुशीनगर में बाढ़ का कहर : तेज हुआ ग्रामीणों का पलायन
कुशीनगर में बाढ़ का कहर : तेज हुआ ग्रामीणों का पलायन

कुशीनगर: वाल्मीकिनगर बैराज से नारायणी में डिस्चार्ज बढ़ने और छह दिनों से हो रही बारिश की वजह से दियारा के गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। ग्रामीणों के समक्ष कई तरह की परेशानियां खड़ी हो गई हैं तो पशुओं के लिए चारा का संकट खड़ा हो गया है। परेशान बाढ़ पीड़ित सुरक्षित जगहों के लिए पलायन करने लगे हैं। गुरुवार को बाढ़ प्रभावित गांवों से लोग सुरक्षित जगहों के लिए पलायन करते दिखे। एनएच 28 बी के किनारे जगह-जगह मवेशियों का पड़ाव बना हुआ है।

कुशीनगर में बीते शुक्रवार से शुरू हुई बारिश का सर्वाधिक असर खड्डा इलाके में दिख रहा है। बारिश के साथ डिस्चार्ज बढ़ने से बुधवार को नारायणी नदी उफना गई। इस वजह से दियारा के गांव शिवपुर, मरिचहवा, हरिहरपुर, नरायनपुर, विध्याचलपुर, शाहपुर व नदी इस पार के महदेवा व सालिकपुर में बाढ़ का पानी घुस गया। सर्वाधिक दिक्कत सालिकपुर व महदेवा गांव में है। हालांकि डिस्चार्ज में कमी आ गई है, गुरुवार को दोपहर दो बजे 242000 क्यूसेक रहा। तीन दिनों से बाढ़ की विभीषिका झेल रहे लोगों का हौसला जवाब दे रहा है। बच्चे, बुजुर्ग व महिलाएं भूख से परेशान हैं। सालिकपुर व महदेवा के लोग एनएच 28 बी के अलावा प्राथमिक विद्यालय व पुलिस चौकी में शरण लिए हुए है। रवींद्र कुशवाहा, उदयभान भारती, लालू भगत, योगेंद्र प्रसाद, सुदर्शन, रामप्रवेश, शारदा चौहान आदि ने बताया कि गांव में अभी भी पानी भरा हुआ है। जान जोखिम में डालकर कुछ लोग बाहर निकल रहे हैं। मचान व ट्राली पर रह रहे हैं, घरों में रखी खाद्य सामग्री व अनाज बाढ़ के पानी से खराब हो गए हैं। 25 हजार आबादी व 2000 मवेशी प्रभावित हैं।

तहसील प्रशासन व प्रधान पहुंचा रहे भोजन सामग्री

एसडीएम अरविद कुमार, नायब तहसीलदार डा. रवि कुमार यादव, एसएचओ आरके यादव व राजस्व टीम के बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा करने के बाद बुधवार को शाम से हरिहरपुर, शिवपुर, मरिचहवा व नरायनपुर में भोजन बनना शुरू हो गया। सालिकपुर पुलिस चौकी के समीप बाढ़पीड़ितों के लिए तिरपाल की व्यवस्था की गई है। महदेवा व सालिकपुर समेत अन्य गांवों के प्रधान कोटेदार से मिलकर राशन की व्यवस्था कर पानी से घिरे घरों में भोजन पहुंचा रहे हैं।

बाढ़ के पानी में डूब गईं ढाई हजार एकड़ फसल

बाढ़ के पानी से दियारा के एक दर्जन गांवों की करीब ढ़ाई हजार एकड़ धान, केला व गन्ने की फसल डूब गई हैं, इससे किसान चितित हैं। उनका कहना है कि पिछले साल भी अगस्त में दो बार आई बाढ़ से हजारों किसानों की पूंजी डूब गई थी। उससे अभी उबर भी नहीं पाए थे, कर्ज लेकर इस साल फसलें बोई गई थीं। बाढ़ ने सब कुछ चौपट कर दिया।

जलभराव से नहीं हो पाएगी धान की रोपाई

समय से पहले बाढ़ आने से खड्डा ब्लाक के छितौनी, नरकहवा, पड़रही, खैरी, बेलवनिया, नौतार जंगल, बोधीछपरा, भगवानपुर समेत अन्य गांवों में जलभराव के कारण धान की रोपाई नहीं हो पाएगी। खेतों में तीन से चार फीट पानी भरा हुआ है। खैरी गांव के नरेंद्र सिंह, छोटेलाल यादव, श्रीकिशुन कुशवाहा, सुदामा चौहान, प्रभु चौहान, ओमप्रकाश जायसवाल, रामनाथ गुप्ता, दीनानाथ कुशवाहा आदि ने कहा कि असमय आई बाढ़ से काफी क्षति उठानी पड़ेगी।

रेलवे ट्रैक का किनारा बना पशुओं का आश्रय स्थल

गांवों में बाढ़ का पानी घुसने की वजह से पशुपालक मवेशियों को छितौनी-बगहा पुल व पनियहवा रेलवे लाइन के किनारे रखे हुए हैं। रेल ट्रैक के किनारे उगी झाड़ियों व घास से मवेशी अपनी भूख मिटा रहे हैं। विध्याचलपुर के विजय यादव, अंगद, गुड्डू यादव, अलगू चौहान आदि ने कहा कि जब तक गांव से बाढ़ का पानी नहीं निकलेगा, यहीं चारा-पानी का प्रबंध करेंगे। गांव में करीब एक हजार मवेशी थे, उन्हें यहां तक लाने में तीन दिन लग गए। दो दर्जन से अधिक बाढ़ के पानी में बह गए।

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