जलस्तर घटने से कटान की आशंका , बांध पर दबाव

कुशीनगर में एपी व अमवाखास बांध पर नदी का दबाव लगातार बढ़ रहा है हालांकि नदी अभी खतरे के निशान से 1. 60 सेमी नीचे बह रही है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 12:45 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 12:45 AM (IST)
जलस्तर घटने से कटान की आशंका , बांध पर दबाव
जलस्तर घटने से कटान की आशंका , बांध पर दबाव

कुशीनगर : वाल्मीकि नगर बैराज से मंगलवार को पानी का डिस्चार्ज 84900 क्यूसेक दर्ज किया गया। इससे नारायणी नदी के एपी बांध के किमी जीरो पर जलस्तर 74.85 मीटर से घटकर 74.60 मीटर पर आ गया। गत सप्ताह गुरुवार को नदी का जलस्तर 76.05 मीटर पर था जो खतरे के निशान 76.20 से महज 15 सेमी नीचे था। अब जलस्तर खतरे के निशान से 1.60 मीटर नीचे होने से बाढ़ की आशंका तो कम हो गई है, लेकिन कटान की आशंका बढ़ गई है। बांध पर नदी का दबाव बरकरार है।

कटान से बचाने के लिए एपी बांध के किमी 13.500 से किमी 14.000 तक बाघाचौर गांव के सामने पत्थर से कराए जा रहा रिवेटमेंट का कार्य अभी तक पूरा नहीं हो सका है। नदी ने कमजोर प्वाइंटों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। नरवाजोत एक्सटेंशन बांध पर भी स्थिति संवेदनशील बनी हुई है।

स्पर पर दबाव बढ़ा

बरवापट्टी : जर्जर अमवाखास बांध के बरवापट्टी रिग बांध को बचाने के लिए किमी . 800 व किमी एक पर बने स्पर पर दबाव बढ़ गया है। लक्ष्मीपुर के किमी 8.600 से लेकर किमी 9 तक दबाव के बावजूद विभाग को कोई खतरा नहीं दिख रहा। किमी 8.600 पर परियोजना कार्य में बोरी से बेस बनाया जा रहा था, लेकिन कार्य पूर्ण नहीं हो पाया। पानी के डिस्चार्ज में वृद्धि होती है तो अमवाखास बांध के जर्जर स्परों को बचा पाना मुश्किल हो जाएगा।

दूसरी तरफ बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता एमके सिंह ने बताया कि बांध पूरी तरह सुरक्षित है। बचाव कार्य लगातार किया जा रहा है।

अभी कागज में बन रहीं बाढ़ चौकियां

मानसून सत्र शुरू हो गया लेकिन बाढ़ बचाव के नाम पर तैयारियां शून्य हैं। कुछ दिन पूर्व बाल्मीकि नगर बैराज से नारायणी में छोड़े गए पानी का डिस्चार्ज चार लाख क्यूसेक से अधिक रहा। इसके बावजूद अभी बाढ़ चौकियों के साथ बाढ़ शरणालय सक्रिय नहीं हुए।

बाढ़ चौकियों को 15 जून तक सक्रिय हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी सब कागज में है। मौके पर न तो कर्मचारी तैनात हैं और न ही जरूरी संसाधन ही नजर आ रहे हैं। अब तक की जो तैयारी है वह नारायणी के पानी बढ़ने के बाद बचाव के लिए पर्याप्त नहीं होगी।

यह है प्रमुख बंधों की दूरी

-पिपराघाट-अहिरौलीदान (एपी) बांध, 17.15 किमी (लंबाई)

-अमवा खास बांध- 10.65 किमी (लंबाई)

-छितौनी-भैंसहा बांध-14.400 किमी (लंबाई)

इस बार यह है तैयारी

इस बार बाढ़ चौकियों के लिए 22 स्थान चिह्नित किए गए हैं। इसमें तमकुही में दो, खड्डा में छह, पडरौना में छह, कसया में तीन, कप्तानगंज में तीन हैं। बाढ़ शरणालय के लिए 17 स्थानों को चिह्नित किया गया है। आपदा विशेषज्ञ रवि राय ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी हैं। जहां जैसी जरूरत पड़ेगी उसे सक्रिय कर दिया जाएगा। पिछली बार की बाढ़ में कुल 32 बाढ़ चौकियां बनाई गई थीं, जिसमें पडरौना में छह, कसया में तीन, हाटा में पांच, तमकुहीराज में नौ, कप्तानगंज तीन तथा खड्डा में छह शामिल रहीं।

पिछले साल बाढ़ में 16 जगह बने थे शरणालय

पिछले साल बाढ़ पीड़ितों के लिए 16 जगह शरणालय बनाए गए थे। इनमें छोटी गंडक से प्रभावितों के लिए नेबुआ नौरंगिया व बड़ी गंडक के बाढ़ पीड़ितों के लिए विशुनपुरा व सेवरही, तरयासुजान व खड्डा थाना क्षेत्र शामिल हैं। इसके लिए पडरौना तहसील में एक, कसया में दो, हाटा में दो, तमकुहीराज में तीन, कप्तानगंज में दो और खड्डा में छह बाढ़ शरणालय बनाए थे।

डीएम एस राजलिगम ने कहा कि बाढ़ से निपटने की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। अधिशासी अभियंता बाढ़ खंड व संबंधित एसडीएम को चिह्नित चौकियों तथा बाढ़ शरणालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। जरूरत के अनुसार बाढ़ पीड़ितों के लिए खाद्यान्न व अन्य जरूरी सामान वितरित कराने को कहा गया है।

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