पिछला ही नहीं मिला तो अगले का क्या भरोसा

किसान इस बात को लेकर पशोपेश में हैं कि जब चीनी मिलों ने पिछले सत्र का बकाया 5154.61 लाख रुपये अब तक नहीं दिया तो अगले की उम्मीद किसके भरोसे पालें। देवेश मिश्र सुरेंद्र राय पारसनाथ सिंह अजय राय जैसे सैकड़ों किसानों को इस बात का भी डर है कि मिल प्रबंधन कहीं पिछला बकाया देकर इस बार का भुगतान उधार न लगा दे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 11:49 PM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 06:09 AM (IST)
पिछला ही नहीं मिला तो अगले का क्या भरोसा
पिछला ही नहीं मिला तो अगले का क्या भरोसा

कुशीनगर : किसान इस बात को लेकर पशोपेश में हैं कि जब चीनी मिलों ने पिछले सत्र का बकाया 5154.61 लाख रुपये अब तक नहीं दिया तो अगले की उम्मीद किसके भरोसे पालें। देवेश मिश्र, सुरेंद्र राय, पारसनाथ सिंह, अजय राय जैसे सैकड़ों किसानों को इस बात का भी डर है कि मिल प्रबंधन कहीं पिछला बकाया देकर इस बार का भुगतान उधार न लगा दे। अफसरों के दावे कई बार फेल हो चुके हैं, ऐसे में उनकी बात पर यकीन करने में भी उन्हें मुश्किल आ रही है। रामकोला व खड्डा चीनी मिल में पेराई शुरू हो गई है। कप्तानगंज में 20, ढाढ़ा में 22 जबकि सेवरही में 25 नवंबर से पेराई प्रस्तावित है। पेराई शुरू होने से किसान खुश तो हैं, लेकिन कप्तानगंज मिल पर 3387.89 लाख जबकि सेवरही पर 1766.72 लाख रुपये के बकाए ने उन्हें सशंकित कर रखा है। किसानों का कहना है कि बैंक और मिल के चक्कर काटकर वह थक चुके हैं, लेकिन भुगतान नहीं हुआ। हालांकि खड्डा, रामकोला व ढाढ़ा मिल पर बकाया न होने से किसानों को इस बात की उम्मीद है कि बाकी दो मिलें भी स्थिति में सुधार करेंगी। तो नहीं मिलेगी गन्ना पर्ची

घोषणा पत्र को लेकर भी विभाग गंभीर है। चर्चा है कि पेराई शुरू होने के पूर्व तक जिन्होंने घोषणा पत्र जमा नहीं किया, उनका गन्ना मिलें नहीं लेंगी। यही नहीं समितिवार सट्टा उपलब्ध है। किसान खाते की जाच कर बैंक खाता व पर्ची का निरीक्षण कर संतुष्ट हो लें, जिससे आगे दिक्कत न हो। वर्जन

सेवरही मिल 30 नवंबर तक भुगतान कर देगी। कप्तानगंज को चेतावनी दे दी गई है। मिल प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं कि सभी मिलें संभावित तिथि पर चालू हो जाएं।

वेद प्रकाश सिंह, जिला गन्ना अधिकारी, कुशीनगर

कहते हैं किसान

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-किसान शैलेश तिवारी कहते हैं कि विभाग पुराने बकाया का भुगतान कराए।

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राजेंद्र प्रसाद का कहना है कि नकदी फसल का भुगतान नहीं हो पा रहा है।

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जैकी शुक्ल कहते हैं कि पहले भुगतान कराए, तब किसान गन्ने की आपूíत करेंगे।

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सत्यप्रकाश मिश्र कहते हैं कि पुराने भुगतान के साथ किसानों को विभाग ब्याज भी दिलाए।

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