सरकारी संपत्ति की सुरक्षा सभी का दायित्व
कुशीनगर में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित संस्कारशाला में सरकारी संपत्ति की सुरक्षा पर अधिकाधिक ध्यान देने को कहा गया सरकारी संपत्ति आम जनता की गाढ़ी कमाई से उपलब्ध कराई जाती है इसलिए इनकी सुरक्षा अपनी ही संपत्ति की तरह करना चाहिए।
कुशीनगर: दैनिक जागरण की संस्कार शाला में श्रीकृष्ण इंटरमीडिएट कालेज कठकुइयां के प्रधानाचार्य चंद्र भूषण पाठक ने कहा कि हम अक्सर देखते हैं कि विरोध के नाम पर सबसे पहले सार्वजनिक संपत्ति को निशाना बनाया जाता है। जबकि हमारे मूल कर्तव्य में कहा गया है कि हमें हर हाल में सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखना है और हिसा से दूर रहना है। यदि कोई सार्वजनिक संपत्ति, बस, भवन आदि को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है तो उसे रोकना चाहिए।
हम बात हमेशा अधिकारों की करते हैं। सरकार, पुलिस, प्रशासन आदि पर इस बात का हमेशा दबाव बनाया जाता है कि अधिकारों का हनन हो रहा है या अधिकार से वंचित रखा जा रहा है। क्या हम कभी अपने कर्तव्यों की बात करते हैं। जिस गंभीरता से अधिकारों की बात होती है, उससे अधिक गंभीरता से कर्तव्यों की बात होनी चाहिए। संविधान में यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। जहां अधिकार है वहां कर्तव्य भी है। इसलिए हम अपने अधिकारों के बारे में जानते हैं तो कर्तव्यों के बारे में भी जानना होगा।
अक्सर प्रदर्शनों व आंदोलनों के दौरान प्रतिक्रिया स्वरूप सरकारी ट्रेन, बस, भवन आदि को आग के हवाले कर दिया जाता है। नागरिक अधिकारों व लोकतंत्र के नाम पर ऐसे व्यवहार का प्रदर्शन अब आम बात हो गई है। इससे यह समझना मुश्किल हो जाता है कि नागरिकों के इस विरोध को राष्ट्रहित कहें या फिर राष्ट्रद्रोह। आज स्थिति यह है कि किसी मुहल्ले में बिजली की परेशानी हो या फिर पानी की समस्या, देखते ही देखते लोग सड़क जाम कर धरना-प्रदर्शन शुरू कर देते हैं। पुलिस यदि थोड़ी भी सख्ती दिखाए तो आगजनी व तोड़फोड़ शुरू हो जाती है। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति तो यह है कि अपने गुस्से का इस प्रकार से प्रदर्शन करते हुए शायद ही कभी किसी ने सोचा हो कि आखिर यह सरकारी संपत्ति आई कहां से। यह कोई नहीं सोचता की इस संपत्ति में भी हमारे खून-पसीने की कमाई लगी है। हमारे टैक्स के ही पैसे से सरकार विकास के कार्य करती है। संसाधन मुहैया कराती है। बगैर इस बात का ध्यान दिए कि यह हमारा नुकसान है, तोड़फोड़ व आगजनी में शामिल हो जाते हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि सरकारी संपत्ति के प्रति लोगों की सोच बदली जाए। हमारे यहां बच्चों को शिक्षा के साथ उनमें नागरिक कर्तव्य का भी बोध कराया जाता है। प्रयास रहता है कि यहां से निकले छात्र देश के अच्छे नागरिक बनें।