पर्यावरण संरक्षण में सभी को निभानी होगी भागीदारी

कुशीनगर में आयोजित जागरण की संस्कारशाला में सेंट थ्रेसेस स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि औद्योगीकरण के चलते मनुष्य मशीन का निर्जीव पुर्जा बनकर रह गया है। इससे समस्या यह उत्पन्न हो गयी है कि वह है पर्यावरण की समस्या बढ़ा रहा है और उससे चिंतित भी नहीं है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 12:42 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 12:42 AM (IST)
पर्यावरण संरक्षण में सभी को निभानी होगी भागीदारी
पर्यावरण संरक्षण में सभी को निभानी होगी भागीदारी

कुशीनगर : सेंट थ्रेसेस स्कूल, पडरौना के प्रधानाचार्य फादर जोसेफ ने दैनिक जागरण की संस्कारशाला में कहा कि आज का मानव औद्योगीकरण के जंजाल में फंसकर स्वयं भी मशीन का निर्जीव पुर्जा बनकर रह गया है। इससे एक नयी समस्या उत्पन्न हो गयी, वह है पर्यावरण की समस्या। इस समस्या की ओर आजकल सभी देशों का ध्यान केंद्रित है। हमारे समक्ष सबसे बड़ी चुनौती पर्यावरण को बचाने की है। पानी, हवा, जंगल, मिट्टी आदि सब-कुछ प्रदूषित हो चुका है। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण का महत्व बताया जाना चाहिए क्योंकि यही हमारे अस्तित्व का आधार है। यदि हमने इस असंतुलन को दूर नहीं किया तो आने वाली पीढि़यां अभिशप्त जीवन जीने को बाध्य होंगी और पता नहीं तब मानव जीवन होगा भी या नहीं।

कहा कि अपने चारों और देखें तो ईश्वर की बनाई इस अद्भुत पर्यावरण की सुंदरता देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है। पर्यावरण की गोद में सुंदर फूल, लतायें, हरे-भरे वृक्ष, प्यारे-प्यारे चहचहाते पक्षी हैं, जो आकर्षण का केंद्र हैं। मनुष्य ने अपनी जिज्ञासा और नई-नई खोज की अभिलाषा में प्रकृति के सहज विकास में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया है, जिस वजह से हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। हम अपने दोस्तों परिवारों का तो बहुत ख्याल रखते हैं, मगर जब पर्यावरण की बात आती है तो बस गांधी जयंती, या फिर स्वच्छ भारत अभियान, के समय ही पर्यावरण का ख्याल आता है। जब हम पर्यावरण और पृथ्वी के बारे में सोचेंगे तभी पर्यावरण का संरक्षण होगा। प्रत्येक व्यक्ति अगर अपनी जिम्मेदारी समझे तो सभी प्रकार का कचरा, गंदगी और बढ़ती आबादी के लिए स्वयं उपाय करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी दे सकता है। प्रगति के नाम पर पर्यावरण को मानव ने ही विकृत करने का प्रयास किया है। जीवित रहने के लिए जिस सांस की जरूरत होती है उसके लिए आक्सीजन हवा से ही मिलती है। पीने तथा अन्य दैनिक कार्यो के लिए पानी, भोजन आदि प्रकृति से ही प्राप्त होता है। इन संसाधनों की सुरक्षा सर्वाधिक जरूरी है। हमारा स्कूल पर्यावरण संरक्षण को लेकर सजग है। यहां चारों तरफ हरियाली लोगों को और छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित और जागरूक करती है। इसके लिए कार्यशाला भी आयोजित की जाती है।

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