धन मिलने के बाद भी अभिभावक नहीं बनवा रहे बच्चों की स्कूल ड्रेस
कुशीनगर के परिषदीय विद्यालयों पढ़ने वाले बचों के अभिभावक सरकार के से स्कूल ड्रेस के मद मिले धन से बचों की ड्रेस नहीं बनवा रहे हैं जाड़े के मौसम में बचे बगैर ड्रेस के स्कूल आ रहे हैं विभाग अभिभावकों को प्रेरित करने में जुटा है।
कुशीनगर : बच्चों के स्कूल ड्रेस के मदर में सरकार की ओर से जारी धन विभाग ने अभिभावकों के खाते में भेज दिया है। इसके बाद भी अभिभावक अपने पाल्यों का स्कूल ड्रेस नहीं बनवा रहे हैं। इसको लेकर विभाग की चिता बढ़ गई है। ठंड के मौसम में बच्चे बीमार पड़ सकते हैं। ऐसे में विभाग अब अभिभावकों को प्रेरित करने में जुटा है। इसके लिए खंड शिक्षा अधिकारियों व प्रधानाध्यपाकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
पूर्व में प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को विभाग जूता, मोजा, स्वेटर, यूनीफार्म उपलब्ध कराता था। यूनीफार्म की गुणवत्ता पर सवाल उठने के बाद सरकार ने इस बार यूनीफार्म समेत अन्य सामान के लिए अभिभावकों के खाते में प्रति छात्र 1100 रुपये भेजा है। धनराशि खाते में आए एक माह हो गया है, लेकिन अधिकांश अभिभावकों ने बच्चों की न तो ड्रेस बनवाई है और न ही स्वेटर खरीदा है। बच्चे बिना यूनीफार्म के या फिर पुरानी यूनीफार्म में स्कूल आ रहे हैं।
बीएसए विमलेश कुमार ने कहा कि अभी तक बहुत ही कम छात्र-छात्राओं के अभिभावकों ने यूनीफार्म बनवाई है। अभिभावकों को प्रेरित किया जा रहा है, ताकि वे सरकार से मिली धनराशि का सही उपयोग करें। बच्चों को ठंड से बचाएं।
कृत्रिम उपकरण मिलते ही दिव्यांगों के खिले चेहरे
दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के तत्वावधान में मंगलवार को कप्तानगंज ब्लाक सभागार में कृत्रिम अंग, सहायक उपकरण वितरण शिविर का आयोजन किया गया। उपकरण पाकर दिव्यांगों के चेहरे खिल उठे।
खंड विकास अधिकारी प्रवीण कुमार शुक्ला ने कहा कि प्राथमिकता के तहत दिव्यांगों को पेंशन की सुविधा दी जा रही है। दिव्यांगजन सशक्तीकरण अधिकारी अनुरिता ने कहा कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर हर ब्लाकों में कैंप लगाकर कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण का वितरण कराया जा रहा है। शिविर में 37 ट्राई साइकिल, सात ह्वील चेयर, सात बैसाखी, आठ श्रवण यंत्र, दो एमआर किट का वितरण किया गया। वरिष्ठ सहायक शिवशंकर गुप्ता, अखिलेश सिंह, योगेंद्र प्रताप, सिघानिया, ग्राम प्रधान मुरारी सिंह, पंचम सिंह आदि मौजूद रहे।