चेपुआ मछली के कारोबार पर कोरोना का ग्रहण

कुशीनगर में सूना हो गया मिनी गोवा कहा जाने वाला पनियहवा नहीं आ रहे भूजा-मछली के शौकीन बंद पड़ी हैं दुकानें।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 12:20 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 12:20 AM (IST)
चेपुआ मछली के कारोबार पर कोरोना का ग्रहण
चेपुआ मछली के कारोबार पर कोरोना का ग्रहण

कुशीनगर: जिले के उत्तरी छोर पर स्थित नारायणी का समीपवर्ती चौराहा पनियहवा आज कल वीरान पड़ा है। कोरोना की वजह से चेपुआ मछली के कारोबार पर ग्रहण लग गया है। मछुआरे व दुकानदार आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। बिहार व यूपी के दूर-दराज इलाकों से आने वाले मछली-पूजा के शौकीन संक्रमण के डर से नहीं आ रहे हैं। दुकानों में कार्य करने वाले कारीगर व मजदूरों के समक्ष भुखमरी की नौबत आ गई है।

खड्डा तहसील क्षेत्र के नवसृजित नगर पंचायत छितौनी का पनियहवा चौराहा पड़ोसी प्रांत बिहार में जाने वाले एनएच 28 बी पर स्थित है। यहां से तीन किमी दूर नारायणी नदी है। इसमें पाई जाने वाली मीठी मछली चेपुआ को इम्यूनिटी बूस्टर कहा जाता है। चेपुआ के अलावा नारायणी में विभिन्न प्रजाति की मछलियां पाई जाती हैं। पनियहवा चौराहे पर मछली-भूजा की दुकानें सजती हैं। पूर्वांचल के शहर गोरखपुर, देवरिया, महराजगंज, कुशीनगर समेत बिहार प्रांत के पश्चिमी चंपारण, बेतिया, नरकटियागंज, बगहा समेत अन्य जगहों के शौकीन यहां आते हैं। कोरोना काल के पहले यहां वाहनों की कतार लगी रहती थी। 30 अप्रैल से जारी कोरोना क‌र्फ्यू से मछली-भूजा का कारोबार बंद हो गया है। इससे दुकानदार व दैनिक मजदूरी पर कार्य करने वाले लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। अधिकांश मछुआरे नदी की ओर रुख करना बंद कर दिए हैं। शौकीनों के नहीं आने से मछली की मांग व कीमत में काफी गिरावट आई है।

दीपलाल निषाद कहते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार के आदेशों का पालन कर रहे हैं। रोजगार बंद होने से आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। अशोक जायसवाल ने कहा कि सरकार को दुकानदारों की स्थिति पर ध्यान देना चाहिए। गाइड लाइन का अनुपालन करते हुए दुकान खोलने की इजाजत देनी चाहिए। राधेश्याम कुशवाहा ने कहा कि रोजमर्रा के सामान वाली दुकानें, होटल, रेस्टोरेंट, चाय की दुकान खोलने की सरकार को इजाजत देनी चाहिए। इससे आर्थिक तंगी से निपटा जा सकेगा। रामू साहनी ने बताया कि दुकानें न खोलने से मछली की मांग काफी कम हो गई है। कम दामों पर मछली बेच कर किसी तरह गुजारा किया जा रहा है।

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