कंपोजिट स्कूल का अपना ब्लाग, अपनी ई मैगजिन

2018 में खजनी विकास खंड के गांव भरोहियां की आकांक्षा बतौर शिक्षक तैनात हुईं तो बच्चे जमीन पर बैठकर पड़ते मिले। उन्होंने पहल की और अपने विद्यालय के अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर डेस्क-बेंच की व्यवस्था की। पढ़ाने के लिए प्रोजेक्टर लगवाया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 11:13 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 11:13 PM (IST)
कंपोजिट स्कूल का अपना ब्लाग, अपनी  ई मैगजिन
कंपोजिट स्कूल का अपना ब्लाग, अपनी ई मैगजिन

कुशीनगर: नई सोच और बदलाव का संवाहक है जिले के ग्रामीण इलाके का कंपोजिट विद्यालय नाउमुंडा। जिले के सुकरौली ब्लाक में स्थित इस विद्यालय का अपना ब्लाग है तो अपनी ई मैगजिन भी है। यह सब हुआ है यहां तैनात शिक्षक आकांक्षा की अभिनव सोच से। इनके ब्लाग पर केवल इनके विद्यालय के ही नहीं गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर, सीतापुर आदि जनपदों के बच्चे भी जुड़े हैं। अपनी रचनाओं को भेजते हैं तो इससे नवीन जानकारी लेते हैं। अब तक 600 से अधिक बच्चे ब्लाग से जुड़ चुके हैं। इनके द्वारा निकाली गई पत्रिका नव किसलय बच्चों के रचना संसार को उचित मंच दे रही है। ब्लाग को साप्ताहिक अपडेट करती हैं।

ऐसे हुई शुरुआत

2018 में खजनी विकास खंड के गांव भरोहियां की आकांक्षा बतौर शिक्षक तैनात हुईं तो बच्चे जमीन पर बैठकर पड़ते मिले। उन्होंने पहल की और अपने विद्यालय के अन्य शिक्षकों के साथ मिलकर डेस्क-बेंच की व्यवस्था की। पढ़ाने के लिए प्रोजेक्टर लगवाया। अपना ब्लाग भी इसी वर्ष बनाया, लेकिन 2020 में ब्लाग को पूरी तरह से सक्रिय करते हुए बच्चों की शिक्षा व विकास का माध्यम बनाया। ब्लाग के लिक द्धह्लह्लश्च://श्चह्यठ्ठड्डह्वद्वह्वठ्ठस्त्रड्ड.ढ्डद्यश्रद्दह्यश्चश्रह्ल.ष्श्रद्व पर पाठ्य सामग्री के साथ, सामान्य ज्ञान, मिशन शक्ति, कविता, प्रेरक प्रसंग आदि लोड किया। सबसे पहले ब्लाग के लिक को फेसबुक पर शेयर किया और लोगों को फोन किया, ताकि अपने विद्यालय के साथ अन्य जिले के विद्यालयों के अधिक से अधिक बच्चों को इससे जोड़ा जा सके। इसमें उनको सफलता भी मिली। इसी के साथ नव किसलय इ-मैगजिन भी लांच किया। जैसे ही कोरोना समाप्त होने को हुआ तो 2021 सितंबर में मासिक पेपर मैगजिन भी शुरू कर दी। 10 पन्ने की इस मैगजिन पर 20 बच्चों की रचनाएं होती हैं, जिसमें कविता कहानी आदि शामिल होते हैं। ई- मैगजिन की पेपेर मैगजिन की एक प्रति स्कूल की लाइब्रेरी में रहती है, ताकि जिन बच्चों के पास स्मार्ट फोन नहीं है वे इसे पढ़ सकें। 14 नवंबर 2021 को आत्मकथा के लघु रूप में बच्चों की रचना आत्म कथ्य के नाम से मैगजिन आने वाली है। आर्ट एंड क्राफ्ट के लिए मिला राज्य पुरस्कार

आर्ट एंड क्राफ्ट के जरिये बच्चों को रोचक ढंग से पढ़ाने व उनको इसके बनाने का तरीका सिखाने के लिए 2019 में इनको राज्य पुरस्कार भी मिल चुका है। इनके साथ ही इनकी दो छात्राओं खुशी और चांदनी को इसी वर्ष कामिक्स चित्रण प्रतियोगिता में राज्य पुरस्कार मिला। इसके पीछे भी आकांक्षा का ही हाथ रहा। शिक्षक माता-पिता से मिली प्रेरणा

पढ़ाई के दौरान ही माध्यमिक विद्यालय में शिक्षक पिता वशिष्ठ मुनि दूबे और पब्लिक स्कूल में शिक्षक माता अंजलि प्रभा से कुछ नया करने की प्रेरणा मिली तो वह जुनून बन गया। नौकरी मिली तो उस जुनून को बच्चों को तराशने में लगा दिया। अब भी नवाचार के लिए माता-पिता ही उनकी प्रेरणा के स्त्रोत हैं। पति का भी मिलता है पूरा सहयोग

भौवापार गोरखपुर संस्कृत महाविद्यालय में कार्यवाहक प्राचार्य पति गौरीशंकर शुक्ल का भी पूरा सहयोग आकांक्षा को मिलता है। जब भी कुछ नया करना होता है तो वह घर पर पति से चर्चा करती हैं। चर्चा के दौरान आई नई बातों पर अमल करती हैं। ससुराल के अन्य सभी सदस्य भी बेहतर करने को हौसला बढ़ाते हैं। बच्चों की हर विधा को निखारना है उद्देश्य : आकांक्षा

आकांक्षा बताती हैं कि पढ़ाई के साथ ही बच्चों की लेखन क्षमता, नई सोच व तर्क क्षमता आदि पहलुओं को निखारना मकसद है, ताकि उनका समग्र विकास हो सके। प्रतियोगी दौर के लिए वे पूरी तरह से तैयार हो सकें। बच्चों को नई सोच के साथ आगे बढ़ता देख प्रसन्नता होती है।

सभी हैं इस पहल के मुरीद

प्रधानाध्यापक विजेंद्र मणि त्रिपाठी ने बताते हैं कि विद्यालय को जो सम्मान मिल रहा है, उससे काफी खुशी मिलती है। खंड शिक्षा अधिकारी सुकरौली उदयशंकर राय का कहना है कि कंपोजिट विद्यालय नाउमुंडा से अन्य विद्यालयों के शिक्षकों को सीख लेनी चाहिए।

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