सोना नाले की सफाई शुरू, किसानों को राहत

कुशीनगर में एक दशक से नहीं हुई थी नाले की सफाई बर्बाद हो रही थी फसल जागरण में किसानों की समस्या की खबर छपने पर जागा विभाग।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 01:09 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 01:09 AM (IST)
सोना नाले की सफाई शुरू, किसानों को राहत
सोना नाले की सफाई शुरू, किसानों को राहत

कुशीनगर : सोना नाले की सफाई का कार्य शनिवार को प्रारंभ हुआ तो किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। दैनिक जागरण ने पांच जून के अंक में सोना नाले की सफाई नहीं होने से किसान परेशान, शीर्षक से खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। खबर का संज्ञान बाढ़ खंड विभाग ने लिया और सफाई का कार्य शुरू कराया। बरसात में अब फसल नष्ट नहीं होगी। किसानों को पूरी उपज मिलेगी। इसकी एक दशक से सफाई नहीं हुई थी। सिल्ट जमा होने व खरपतवार उग जाने के कारण बरसात का पानी नहीं निकल पाता था। ऐसे में जल जमाव के कारण लवकुश, हाटा, गौराखोर, गुरवलिया, महुंअवा खुर्द, सोनहंग, डिघवापट्टी, कृपापट्टी, धुनवलिया, अमवा, जोकवा, धौरहरा, पटखौली, मटिहिनियां सहित दर्जनों गांवों के सरेह का पानी नहीं निकल पाता था। बरसात के दिनों में पूरा इलाका जलमग्न होकर फसलों को नष्ट कर देता था। किसान तबाह थे। किसान गोरख यादव, आशीष कुमार, विश्वनाथ सिंह, नत्थू राय, सुभाष प्रसाद, दहारी शर्मा, बबलू पांडेय, राजकिशोर पांडेय, रामनरेश सिंह, रमाशंकर सिंह आदि ने बताया कि नाले की सफाई होने से खरीफ की फसल नष्ट नहीं होगी। किसान खुशहाल रहेंगे। किसानों ने समस्या समाधान के लिए दैनिक जागरण को धन्यवाद दिया। कहा कि समाचार पत्र में किसानों की समस्या प्रमुखता से प्रकाशित कर विभाग का ध्यान इस ओर खींचा तब जाकर समाधान हुआ। विभाग के अधिशासी अभियंता एके सिंह ने बताया कि नाले की सफाई का कार्य बरसात पूर्व पूर्ण कर लिया जाएगा।

ड्रेन नहीं, सरकारी धन की हो रही सफाई

पडरौना तहसील क्षेत्र के सिधरिया ड्रेन में मौजूदा समय में पांच फीट पानी भरा हुआ है। बाढ़ खंड, ठीकेदार के माध्यम से सफाई करा रहा है। किसानों का कहना है कि ड्रेन नहीं सरकारी धन की सफाई कराई जा रही है। उन्हें चिता सता रही है कि अगर ड्रेन की सफाई के नाम पर खानापूर्ति हो गई तो नियमानुसार तीन साल तक सफाई नहीं होगी और खेतों में जलभराव से फसलें बर्बाद होती रहेंगी।

सिधरिया ड्रेन की लंबाई करीब 15 किमी है, इससे पटेरा, नरचोचवा, धर्मपुर, खजुरिया, सरगटिया, रामनगर, विजयपुर, विशुनपुरा, मंसाछापर समेत दर्जनों गांवों के 2200 एकड़ खेतों से बारिश का पानी निकलता था। इससे करीब 4500 किसानों की फसलें बर्बाद होने से बच जाती थीं। कई वर्षों से ड्रेन की सफाई नहीं होने से खेतों में जलभराव हो रहा है और फसलें बर्बाद हो जा रही हैं। एक पखवारा पहले हुई बारिश के पानी से ड्रेन भर गई। अगल-बगल के खेतों में भी पानी भरा हुआ है। इस स्थिति में पोकलेन से सफाई कराने पर किसान सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि सफाई की कोरमपूर्ति की जा रही है। मौजूदा समय में पटेरा, नरचोचवा गांवों के समीप पोकलेन से ड्रेन के किनारे उगी घास व झाड़ियों की छिलाई कराई जा रही है।

धर्मपुर गांव के शैलेश तिवारी ने कहा कि कई बार शिकायत के बाद ड्रेन की सफाई शुरू हुई, वह भी पांच फीट पानी भर जाने के बाद। इससे किसानों का भला नहीं होगा, धन का बंदरबांट हो जाएगा। नवंबर-दिसंबर में सफाई होती तो ठीक रहता। बहोरा रामनगर के चौथी सैनी ने कहा कि ड्रेन में पानी भर जाने के बाद सफाई का औचित्य नहीं है। इस साल तो फसलों का बर्बाद होना तय है। नरचोचवा के ग्राम प्रधान योगेंद्र सिंह का कहना है कि ड्रेन की सफाई के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। खजुरिया गांव के प्रधान मारकंडेय गुप्ता ने कहा कि ड्रेन में पानी सूखने के बाद ही सफाई होनी चाहिए, तभी किसानों को लाभ मिलेगा।

chat bot
आपका साथी