मुख्यमंत्री ने कहा कि औपचारिकता नहीं परिणाम चाहिए
मुख्यमंत्री ने दवाइयों के वितरण आक्सीजन आपूर्ति एंबुलेंस बेड की स्थिति के बारे में जानकारी ली तो व्यवस्था मुकम्मल रखने का सख्त निर्देश भी दिया। कहा कि दवाइयों का वितरण सुनिश्चित होना चाहिए। यदि मेडिकल कार्पोरेशन दवाइयों की उपलब्धता समय से सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है तो आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए।
कुशीनगर: कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने अधिकारियों संग वर्चुअल बैठक की और सख्त लहजे में कहा कि औपचारिकता नहीं परिणाम चाहिए। इसके लिए उच्चाधिकारी हर हाल में प्रभावी रणनीति बनाएं। एनआइसी के वीडियो कांफ्रेंसिग रूम में मौजूद अधिकारियों ने इस पर अमल करने की हामी भरी।
मुख्यमंत्री ने दवाइयों के वितरण, आक्सीजन आपूर्ति, एंबुलेंस, बेड की स्थिति के बारे में जानकारी ली तो व्यवस्था मुकम्मल रखने का सख्त निर्देश भी दिया। कहा कि दवाइयों का वितरण सुनिश्चित होना चाहिए। यदि मेडिकल कार्पोरेशन दवाइयों की उपलब्धता समय से सुनिश्चित नहीं कर पा रहा है तो आवश्यक कार्यवाही होनी चाहिए। एक मरीज को एक बार में कम से कम एक सप्ताह की दवा जरूर उपलब्ध होनी चाहिए। मेडिकल किट की व्यवस्था शुरू करने को भी कहा। सैनिटाइजेशन, मास्क की अनिवार्यता पर जोर देते हुए कहा कि मास्क नहीं लगाने पर पहली बार 1000 व दूसरी बार 10000 रुपये के जुर्माने का प्रावधान करें। मास्क की अनिवार्यता को लागू कराने के लिए व्यापक अभियान चलाएं। सभी बाजारों को एक दिन बंद करने की बात भी कही। जिलाधिकारी एस राजलिगम, मुख्य विकास अधिकारी अनुज मलिक, अपर जिलाधिकारी विध्यवासिनी राय, मुख्य चिकित्सा अधिकारी नरेंद्र गुप्ता उपस्थित रहे।
इबादत के साथ कोरोना से बचाव का भी करें इंतजाम
मुफ्ती रजाउल मुस्तफा बरकाती, इमाम, जामा मस्जिद पडरौना ने बताया कि रमजान के इस पवित्र महीने में खुदा की इबादत करने के साथ ही कोरोना से बचाव के भी जरूरी उपाय करें। जनपद में कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जो खतरनाक संकेत है। हमारी जरा सी भी लापरवाही बीमारी को और बढ़ने का मौका देगी। इसके लिए आवश्यक है कि हम भीड़ जमा करने से बचें। जीवन सबसे जरूरी है। इसकी रक्षा हम तभी कर सकेंगे, जब घर में रहें। बहुत आवश्यक हो तभी घर से बाहर निकलें और जारी गाइडलाइन का पालन करें। नमाज के दौरान मास्क तथा शारीरिक दूरी का प्रयोग अनिवार्य रूप से करें। इफ्तार पार्टी का आयोजन न करें। एक-दूसरे का ख्याल रखें। रमजान में रोजा रखें, खुदा की इबादत करें और संक्रमण से खुद को सुरक्षित करते हुए आस-पास के लोगों को भी बीमारी से बचाव के लिए जागरूक करें। लोगों को बताएं कि मानव सेवा, सबसे बड़ी इबादत है और खुद भी यही कहते हैं।