कुशीनगर में नहीं हुई नहर की सफाई, किसान चितित

कुशीनगर में गेहूं की फसल की बोआई का समय चल रहा है ऐसे में नहरों की सफाई न होने से खेतों तक पानी पहुंचना संभव नहीं दिख रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 12:25 AM (IST) Updated:Thu, 02 Dec 2021 12:25 AM (IST)
कुशीनगर में नहीं हुई नहर की सफाई, किसान चितित
कुशीनगर में नहीं हुई नहर की सफाई, किसान चितित

कुशीनगर : हाटा ब्लाक के बकनहां नहर की सफाई नहीं होने से 12 गांवों के किसान सिचाई को लेकर चितित हैं। गेहूं की बोआई अंतिम दौर में है। कुछ ही दिन बाद होने वाली सिचाई की चिता उन्हें सता रही है। विभाग चुप्पी साधे हुए है। माइनर झाड़-झंखाड़ से पटा है।

इस नहर से नटवलिया, चिरगोड़ा, खड्डा, जाखनी, चिउटहां, धूसी, बकनहां सहित लगभग एक दर्जन गांवों के फसल की सिचाई होती है। क्षेत्र के किसान राजेश, रमेश शर्मा, दिनेश यादव, सुदर्शन, सुदामा, कमलेश, मनोज, नंदलाल, विजय, मुकेश आदि का कहना है कि हर वर्ष विभागीय लापरवाही का दंश किसानों को झेलना पड़ता है। समय से कभी भी सफाई नहीं कराई जाती। कभी भी हेड से टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता है। किसानों को निजी संसाधनों से सिचाई करनी पड़ती है। एसडीएम वरुण कुमार पांडेय ने बताया कि सिचाई विभाग को नहर की सफाई के लिए निर्देशित किया गया है। किसानों को यदि कहीं परेशानी है तो तुरंत सूचना दें। समस्याओं का समाधान किया जाएगा।

गोदामों ने रोक दी धान खरीद की रफ्तार, किसान लाचार

एक नवंबर से शुरू धान खरीद की राह में वे गोदाम ही रोड़ा बनकर खड़े हो गए हैं, जिनमें इनको खरीदारी के बाद रखा जाना है। यह समस्या मिलरों के पुराने दर पर कुटाई के इन्कार करने से खड़ी हुई है। खाद्य विपणन विभाग के गोदाम कोटे के राशन से भरे हुए हैं। क्रय केंद्र प्रभारी किसानों को लौटा रहे हैं। शिकायत करने पर अधिकारी मिलरों द्वारा धान न लेने की बात कह पल्ला झाड़ ले रहे हैं। प्रशासनिक प्रयास के बावजूद मिलरों से सहमति नहीं बन पा रही है ताकि कोई रास्ता निकल सके और खरीद में तेजी आ सके।

सरकार ने धान का मूल्य 1940 रुपया प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। जबकि खुले बाजार में 1100 से 1200 रुपये में व्यापारी धान खरीद रहे हैं। अपनी जरूरतों के चलते किसान बाजार में बेचने को विवश हो गए हैं।

किराए के भवन में चलते हैं गोदाम

विभाग का ब्लाक स्तर पर अपना गोदाम न होने के कारण किराए पर चलता है। धान क्रयकेंद्रों पर सरकारी गोदाम हैं, लेकिन क्षमता अधिक नहीं है। सार्वजनिक वितरण के अंतर्गत आने वाले प्रति माह गेंहू व चावल से ही गोदाम भरे हुए हैं। ऐसी परिस्थितियों में जो धान खरीदा जा रहा है, उसे कहां स्टोर किया जाए विभाग के लिए भी सिरदर्द साबित हो रहा है। तमकुहीराज क्रय केंद्र पर अभी तक एक हजार क्विंटल धान की खरीदारी हुई है। किसान सुनील कुमार मिश्र कहते हैं कि व्यवस्था में कमी के कारण धान बेचने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है। किसान रामचंद्र उपाध्याय ने बताया कि महंगाई को देखते हुए मिलरों का दर बढ़ाया जाना वाजिब है। नत्थू चौहान ने कहा कि एक तो आनलाइन की प्रक्रिया में देरी हो रही है। पारस सिंह पटेल कहते हैं कि चारों तरफ से किसानों का ही शोषण हो रहा है। ऐसी दशा में सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पा रही हैं। एसएमआइ पंकज विश्वकर्मा ने बताया कि जगह के अभाव में खरीद प्रभावित है। शीघ्र ही खरीद में तेजी आएगी।

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