विश्व शांति के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा

कुशीनगर में हुए आयोजन में वक्ताओं ने कहा कि पहली बार 1981 में मनाया गया था विश्व शांति दिवस 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिया था प्रस्ताव।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 12:53 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 12:53 AM (IST)
विश्व शांति के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा
विश्व शांति के लिए बौद्ध भिक्षुओं ने की विशेष पूजा

कुशीनगर: विश्व शांति दिवस पर मंगलवार को बौद्ध भिक्षुओं ने महापरिनिर्वाण बुद्ध विहार में विश्व शांति और वैश्विक महामारी कोरोना की समाप्ति के लिए विशेष पूजा की।

अशोक वेलफेयर बुद्धिस्ट ट्रस्ट कुशीनगर के अध्यक्ष भंते अशोक ने कहा कि बौद्ध धर्म करुणा, मैत्री व शांति का संदेश देता है। बुद्ध के सिद्धांतों के अनुपालन से विश्व में फैली अशांति व तनाव को समाप्त किया जा सकता है। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। विश्व के जितने भी बौद्ध देश हैं, वहां सुख-शांति अधिक है और वहां के लोगों का जीवन शांतिपूर्ण है। भंते आलोक ने कहा कि सुख, शांति समृद्धि व विकास का द्योतक है। पहली बार 1981 में विश्व शांति दिवस मनाया गया। 2002 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 सितंबर को विश्व शांति दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया था। पूजा में भंते आलोक, भंते मुलायम, भंते विनयकीर्ति आदि शामिल रहे।

हिमांचल के बौद्ध मठ की शोभा बढ़ाएगी अभिशिखा की पेंटिग

कुशीनगर निवासी चित्रकार अभिशिखा त्रिपाठी की पेंटिग हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा स्थित चोकलिग बुद्धिस्ट मोनास्ट्री की शोभा बढ़ाएगी। त्रिपाठी ने यहां आए मोनास्ट्री के संचालक लामा रिपोछे ओजेन तोब्जे की पेंटिग बनाकर बिरला धर्मशाला में उन्हें भेंट किया। पेंटिग के बैक ग्राउंड में महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर प्रदर्शित है। तोब्जे यहां 10 सितंबर को विश्व शांति व कोरोना की समाप्ति के लिए 36 तिब्बती लामाओं के साथ 10 दिवसीय विशेष पूजा करने आए थे।

नोएडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से 2019 में बैचलर आफ फाइन आ‌र्ट्स और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से 2021 में मास्टर आफ फाइन आ‌र्ट्स की डिग्रीधारी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी में पुरस्कृत शिक्षक कृष्ण कुमार त्रिपाठी की पुत्री अभिशिखा की प्रतिभा को तोब्जे ने सराहा। कहा कि वह इस पेंटिग को अपने मोनास्ट्री में लगाएंगे। यह उन्हें कुशीनगर की ऐतिहासिक यात्रा की याद दिलाएगी।

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