श्रीलंका को भारत का महानतम उपहार है बौद्ध धर्म : नामल राजपक्षे

कुशीनगर में श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि बौद्ध धर्म ने दुनिया को एकसूत्र में पिरोया प्रधानमंत्री को भेट की अंग्रेजी सिंहल व तमिल में अनुवादित गीता।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 01:15 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 01:15 AM (IST)
श्रीलंका को भारत का महानतम उपहार है बौद्ध धर्म : नामल राजपक्षे
श्रीलंका को भारत का महानतम उपहार है बौद्ध धर्म : नामल राजपक्षे

कुशीनगर: महापरिनिर्वाण मंदिर परिसर में आयोजित अभिधम्म दिवस समारोह में श्रीलंका के केंद्रीय युवा एवं खेल मंत्री नामल राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका के लिए भारत की तरफ से अबतक का महानतम उपहार बौद्ध धर्म है। बौद्ध धर्म ने दुनिया को एक सूत्र पिरोया है। पूरे विश्व को सत्य, अहिसा और करुणा का संदेश दिया है। आज भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली से विश्व को यह संदेश गया है कि कुशीनगर आसानी से पहुंच सकते हैं।

कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के लोकार्पण अवसर पर श्रीलंका की उद्घाटन फ्लाइट से यहां पहुंचे नामल राजपक्षे ने कहा कि एयरपोर्ट के जरिये कुशीनगर आने की वर्षों की इच्छा पूरी हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दोनों देशों के संबंध को मजबूत करने के लिए एक वर्ष पूर्व प्रस्ताव दिया था कि यहां उद्घाटन फ्लाइट श्रीलंका से आए। इस सम्मान के लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं। राजपक्षे ने कहाकि मेरे पिता प्रधानमंत्री महेन्द्रा राजपक्षे ने पवित्र भगवद्गीता का अंग्रेजी, सिंहल और तमिल में अनुवाद कराया है। लोग पूरे श्रद्धाभाव से इसे पढ़ रहे हैं। नामल ने इसकी प्रतियां प्रधानमंत्री को भी भेट की।

पुराने रिश्तों को याद करते हुए श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि भारत ने इतिहास में प्रमुख भूमिका निभाई और भविष्य में भी निभाएगा। सम्राट अशोक के पुत्र महेन्द्र व पुत्री संघमित्रा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए बोधगया के बोधि वृक्ष का अंश लेकर श्रीलंका गए थे। भारत और श्रीलंका के धार्मिक रिश्ते बहुत पुराने और प्रगाढ़ रहे हैं जो और गहरे हुए हैं। भारत सरकार ने श्रीलंका को 50 मीलियन डालर दिए हैं ताकि श्रीलंका स्थित बौद्ध स्थलों का संपूर्ण विकास हो सके। इससे धार्मिक प्रगाढ़ता और बढ़ी है।

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