विश्व के लिये बुद्ध के संदेश प्रकाश स्तम्भ : प्रो. रजनीश

अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने कहा कि भौतिकतावादी परिवेश में लिप्त दुनिया निरंतर युद्ध के साए में जी रही है। ऐसे में बुद्ध के संदेश प्रकाश स्तम्भ की तरह रास्ता दिखाते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Nov 2019 11:21 PM (IST) Updated:Tue, 19 Nov 2019 11:21 PM (IST)
विश्व के लिये बुद्ध के संदेश प्रकाश स्तम्भ : प्रो. रजनीश
विश्व के लिये बुद्ध के संदेश प्रकाश स्तम्भ : प्रो. रजनीश

कुशीनगर : अंतरराष्ट्रीय हिदी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश शुक्ल ने कहा कि भौतिकतावादी परिवेश में लिप्त दुनिया निरंतर युद्ध के साए में जी रही है। ऐसे में बुद्ध के संदेश प्रकाश स्तम्भ की तरह रास्ता दिखाते हैं। शुक्ल सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध केंद्र और भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के तत्वावधान में लिहन-सन वियतनाम चाइनीज बुद्ध मंदिर में आयोजित आधुनिक युग मे बौद्ध दर्शन की प्रासंगिकता विषयक त्रिदिवसीय संगोष्ठी के समापन सत्र को मंगलवार को बतौर अध्यक्ष संबोधित कर रहे थे। कहा कि धम्म आचरण के लिए है। आचरण को बौद्धानुरूप कर के ही बुद्ध के मार्ग पर चला जा सकता है। बुद्ध ने करुणा की भावना पर सर्वाधिक जोर दिया। इस भावना के बचने से ही दुनिया बचेगी। मुख्य अतिथि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के सदस्य सचिव प्रो. कुमार रत्नम ने बुद्ध को दुख से मुक्ति का सबसे बड़ा स्तम्भ बताया। कहा कि बौद्ध धर्म दर्शन की प्रासंगिकता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दूबे ने कहा कि बुद्ध सनातन धर्म की परंपरा के सबसे बड़े संशोधक थे। उन्होंने बुद्ध को अप्रेम, हिसा दुश्मनी को समाप्त करने का सबसे बड़ा मार्ग दर्शक बताया। विशिष्ट अतिथि प्रो. लालजी श्रावक ने कहा कि बुद्ध की प्रासंगिकता जितनी उनके समय में थी, उससे ज्यादा आज है। उन्होंने बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति से लेकर उनके ज्ञान देने की वैचारिकी पर प्रकाश डाला। स्वागत गोरखपुर विश्वविद्यालय के दर्शन शास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. डीएन यादव ने किया। संगोष्ठी की रिपोर्ट डॉ. कृष्ण मणि ने प्रस्तुत किया। धन्यवाद ज्ञापन सिद्धार्थ विवि के कुलसचिव राजेश कुमार और संचालन डॉ. गौरव तिवारी ने किया। भंते राहुल, विधायक रजनीकांत मणि त्रिपाठी, संगोष्ठी के संयोजक डॉ. सुशील कुमार तिवारी, डॉ. सभाजीत मिश्र, ऊषा दूबे, डॉ. प्रत्यूष दूबे, डॉ. सूर्यनाथ पांडेय, डॉ. राकेश पांडेय, डॉ. पुरणेश नारायण सिंह, डॉ. त्रिभुवन नाथ त्रिपाठी, डॉ. अवनीश तिवारी, टीके राय, डॉ. जय सिंह यादव, डॉ. योगेश पाल, डॉ. किरन सिंह, डॉ. राम पांडेय, कालिदी त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

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