श्रावणी पूíणमा को बुद्ध ने किया था अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन

श्रावण पूíणमा का भी विशेष महत्व है। म्यांमार बुद्ध मंदिर के एक कार्यक्रम में कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर ने कहा कि श्रावणी पूर्णिमा को भगवान बुद्ध ने श्रावस्ती में कुख्यात डकैत अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन कर बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 10:45 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 10:45 PM (IST)
श्रावणी पूíणमा को बुद्ध ने किया था अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन
श्रावणी पूíणमा को बुद्ध ने किया था अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन

कुशीनगर : श्रावण पूíणमा के अवसर पर सोमवार को उपासकों ने बौद्ध भिक्षुओं को संघ दान देकर पुण्यानुमोदन प्राप्त किया। बौद्धों के लिए प्रत्येक पूíणमा महत्वपूर्ण है। बैसाख पूíणमा को सिद्धार्थ का जन्म नेपाल के लुम्बिनी में हुआ था। बोधगया में ज्ञान प्राप्ति और कुशीनगर में बुद्ध का निर्वाण बैसाख पूíणमा को ही हुआ था।

श्रावण पूíणमा का भी विशेष महत्व है। म्यांमार बुद्ध मंदिर के एक कार्यक्रम में कुशीनगर भिक्षु संघ के अध्यक्ष एबी ज्ञानेश्वर ने कहा कि श्रावणी पूर्णिमा को भगवान बुद्ध ने श्रावस्ती में कुख्यात डकैत अंगुलिमाल का हृदय परिवर्तन कर बौद्ध धर्म में दीक्षित किया था। इसी दिन बुद्ध के निर्वाण के तीन माह बाद राजगिरि में 500 भिक्षुओं ने अजातशत्रु के शासनकाल में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन किया था। भिक्षुओं का वर्षावास भी श्रावणी पूíणमा से प्रारंभ होता है, जो तीन माह तक चलता है।

प्रारंभ में भिक्षुओं ने ज्ञानेश्वर की अध्यक्षता में मैत्रीसूत्र का पाठ किया। महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर में तथागत की लेटी प्रतिमा पर चीवर चढ़ाकर कोरोना की शांति के लिए प्रार्थना की गई। भिक्षुणी धम्मनैना, भंते राजिदा, भंते सागरा, भंते यसिदा, टीके राय आदि उपस्थित रहे।

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