हिरण्यवती की तरह बिखरेगा बुद्धकालीन काली का सौंदर्य

कुशीनगर में बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी के रिवर फ्रंट के विकास व बुद्धा घाट पर शुरू हुए नौकायन की गूंज संकिसा (फर्रूखाबाद) तक पहुंची है। फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत ने सोमवार को कुशीनगर का दौरा कर नदी का सौंदर्य देखा तो सराहा भी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 12:38 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 12:38 AM (IST)
हिरण्यवती की तरह बिखरेगा बुद्धकालीन काली का सौंदर्य
हिरण्यवती की तरह बिखरेगा बुद्धकालीन काली का सौंदर्य

कुशीनगर: कुशीनगर में बुद्धकालीन हिरण्यवती नदी के रिवर फ्रंट के विकास व बुद्धा घाट पर शुरू हुए नौकायन की गूंज संकिसा (फर्रूखाबाद) तक पहुंची है। फर्रुखाबाद के सांसद मुकेश राजपूत ने सोमवार को कुशीनगर का दौरा कर नदी का सौंदर्य देखा तो सराहा भी।

वह यहां एक निजी कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उन्होंने बुद्धा घाट की छटा और नौकायन करते पर्यटकों की तस्वीर कैमरे में कैद की। कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने वाली यह पहल सराहनीय है। इसी तर्ज पर बुद्ध कालीन संकिसा स्थित काली नदी में भी रिवर फ्रंट को विकसित किया जाएगा तो नौकायन की व्यवस्था की जाएगी ताकि पर्यटक आकर्षित हों और उनका पर्यटक स्थल पर ठहराव बढ़ सके। बुद्धकालीन काली नदी का ऐतिहासिक महत्व है। इसका प्राचीन नाम इच्छुमती है। बुद्ध के समय में वहां के राजा दीर्घशक थे। काली नदी घाट के एक तरफ बौद्ध भिक्षु स्नान करते थे और घाट के दूसरी तरफ राजपरिवार स्नान करता था। निदेशक ने दिए निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश

कुशीनगर : उप्र गन्ना शोध संस्थान के निदेशक डा. जे सिंह ने सोमवार को गेंदा सिंह गन्ना प्रजनन एवं अनुसंधान संस्थान का निरीक्षण किया। केंद्र प्रभारी सहित संबंधित अधिकारियों को निर्माण व अनुसंधान कार्य में तेजी लाने का निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गुड़ बनाने वाली यूनिट का नवीनतम माडल शीघ्र तैयार कराया जाए। पाली हाउस निर्माण कार्य का अवलोकन कर उसे समय पर पूरा करने का निर्देश दिया। सिगल बट सिस्टम से गन्ने की बोआई करने के लिए किसानों को जागरूक करने पर जोर दिया। कहा कि नई प्रजाति की एक आंख वाले गन्ना बीज को कटर मशीन से टुकड़ा बनाकर किसानों को उपलब्ध कराया जाए। कृषि यंत्रों की जांचकर निर्देशित करते हुए संस्थान के लिए डब्ल्यूबीएम रोड का प्रस्ताव तैयार कर भेजने का आदेश दिया। इस दौरान उन्होंने प्रक्षेत्र भ्रमण कर कमियों को देखा और उसमें सुधार के लिए आवश्यक निर्देश दिए। डा. अनिल कुमार सिंह, प्रभारी अधिकारी डा. वाईपी भारती, डा. जीएन राव, डा.अर्चना सिराड़ी, डा. कृष्णानंद, डा. विनय मिश्रा, डा.कमल किशोर साहू, ओमप्रकाश आदि मौजूद रहे।

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