वर्षा जल संचय में रोड़ा बन रही तालाबों की जलकुंभी, जल्दी ही सूख जाते हैं तालाब

भूगर्भ जल स्तर सुधारने में सरकार वर्षा जल संचय पर जोर दे रही है। इसके लिए नदियों व तालाबों की खोदाई मनरेगा से कराई जाती है लेकिन जनपद के 1470 से तालाबों में फैली जलकुंभी उनके अस्तित्व को खत्म कर रही है। तालाबों में जलकुंभी पूरी तरह से फैल गई है। इसकी वजह से बारिश का पानी पूरी तरह से तालाबों में न समा कर बेकार में बह जाता है। ऐसे में वर्षा जल का संचय नहीं हो पा रहा है। यदि तालाबों से जलकुंभी को हटा दिया जाए तो जल संरक्षण को बढ़ावा मिल सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 12:03 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 12:03 AM (IST)
वर्षा जल संचय में रोड़ा बन रही तालाबों की जलकुंभी, जल्दी ही सूख जाते हैं तालाब
वर्षा जल संचय में रोड़ा बन रही तालाबों की जलकुंभी, जल्दी ही सूख जाते हैं तालाब

कौशाबी। भूगर्भ जल स्तर सुधारने में सरकार वर्षा जल संचय पर जोर दे रही है। इसके लिए नदियों व तालाबों की खोदाई मनरेगा से कराई जाती है लेकिन जनपद के 1470 से तालाबों में फैली जलकुंभी उनके अस्तित्व को खत्म कर रही है। तालाबों में जलकुंभी पूरी तरह से फैल गई है। इसकी वजह से बारिश का पानी पूरी तरह से तालाबों में न समा कर बेकार में बह जाता है। ऐसे में वर्षा जल का संचय नहीं हो पा रहा है। यदि तालाबों से जलकुंभी को हटा दिया जाए तो जल संरक्षण को बढ़ावा मिल सकता है।

पर्याप्त बारिश न होने व लगातार भूगर्भ जल के हो रहे दोहन की वजह से जनपद का भूजल स्तर काफी गिर गया है। इसकी वजह से केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में जनपद के छह विकास खंडों को डार्क जाने घोषित कर दिया है। तभी से यहा के भूगर्भ जल स्तर सुधारने के लिए शासन स्तर से जिला प्रशासन व पंचायतीराज विभाग को आवश्यक निर्देश दिया गया है, जिसके आधार पर तालाबों की खोदाई तो कराई जाती है, लेकिन तालाबों में फैली हुई जलकुंभी को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। राजस्व अभिलखों में जिले में कुल 8774 तालाबी रकबे हैं। पहले लोग इन्ही तालाबों के पानी को अपने उपयोग में लेते थे। अब बारिश कम होती है, जिसकी वजह से अधिक दिनों तक तालाबों में पानी नहीं रहता है। इसके अलावा जनपद के 1470 तालाबों में जलकुंभी पूरी तरह से फैल गई है। मंझनपुर तहसील क्षेत्र की ग्राम पंचायत म्योहर के संदीप सिंह, यशपाल सिंह, अवधेश त्रिपाठी, अनुग्रह सिंह, पुष्पराज आदि का कहना कि म्योहर में दो दर्जन से अधिक तालाब हैं। बस्ती से सटे हुए तालाबों का प्रयोग लोग जानवरों को नहलाने, पानी पिलाने के लिए प्रयोग करते थे लेकिन इन दिनों तालाबों में जलकुंभी हो गई है। अब ये तालाब बच्चों व जानवरों के लिए खतरा बन गए है। ग्राम पंचायत सचवारा के संतलाल, विनोद पाडेय, बसंत लाल, राकेश, रामआसरे, संदीप पाडेय, बच्चालाल, मनोज पाल, अरुण पाल आदि ने बताया कि बस्ती से लगा बड़ा तालाब है, जिसमें लोग नहाने के साथ अलोपसंकरी माता की पूजा और जलहरी भरते थे लेकिन इस तालाब में जलकुंभी फैल गई है, जिसकी वजह से पानी दूषित हो गया। इसी मंझनपुर, बटबंधुरी, दीवार कोतारी, बेरूई, करारी, मंझनपुर, पाता, भरसवा ओसा, रामपुर धमावा, चूहापीरन, सयारा, सौरई बुजुर्ग आदि गावो के तालाब जलकुंभी से पट गए हैं। जो वर्षा जल के संचय अभियान में रोड़ा बने हुए है। यदि इन तालाबों से जलकुंभी हटा दिया जाए तो वर्षा जल का संजय हो सकता है। साथ ही भू गर्भ जल स्तर भी बढ़ेगा।

chat bot
आपका साथी