प्रधान ने साले को किया था पट्टा, 25 साल बाद निरस्त

मंझनपुर तहसील के ओसा गांव की हाइवे से सटी भूमि का प्रधान ने अपने साले के नाम पट्टा कर दिया। करीब 25 साल पहले हुई इस पट्टे की भूमि की वर्तमान कीमत करीब दो करोड़ आकी जा रही है। दो साल पहले भूमि की प्लाटिग शुरू हुई तो ग्रामीणों को इसकी जानकारी हो सकी। विरोध के बाद एक ग्रामीण ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की। मामले में दो साल तक वाद चला। जिसे डीएम ने सोमवार को पट्टा निरस्त कर दिया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 10:57 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:57 PM (IST)
प्रधान ने साले को किया था पट्टा, 25 साल बाद निरस्त
प्रधान ने साले को किया था पट्टा, 25 साल बाद निरस्त

जासं, कौशांबी : मंझनपुर तहसील के ओसा गांव की हाइवे से सटी भूमि का प्रधान ने अपने साले के नाम पट्टा कर दिया। करीब 25 साल पहले हुई इस पट्टे की भूमि की वर्तमान कीमत करीब दो करोड़ आकी जा रही है। दो साल पहले भूमि की प्लाटिग शुरू हुई तो ग्रामीणों को इसकी जानकारी हो सकी। विरोध के बाद एक ग्रामीण ने अधिकारियों से इसकी शिकायत की। मामले में दो साल तक वाद चला। जिसे डीएम ने सोमवार को पट्टा निरस्त कर दिया।

ओसा गांव निवासी महाबीर त्रिपाठी गांव के पूर्व प्रधान है। 1995 से 2000 के मध्य वह गांव के प्रधान रहे। इस दौरान उन्होंने कोतारी पश्चिम निवासी अपने सगे साले नारायण के नाम पर हाइवे की करीब दो बीधे भूमि का पट्टा कर दिया। दस्तावेजों में यह पट्टा चलता रहा। इसकी जानकारी गांव के लोगों को नहीं हो सकी। 20 जुलाई 2019 को नारायण ने भूमि की प्लाटिग करने की योजना बनाई। इस वहां प्लाटिग के लिए कार्य शुरू कर दिया गया। इसके बाद लोगों को ा भूमि के पट्टा किए जाने की जानकारी हो सकी। गांव के दीपू तिवारी ने पट्टे का विरोध करते हुए डीएम के कोर्ट में वाद दायर किया। दो साल तक चले वाद के दौरान नारायण ने ओसा गांव के निवासी होने का कोई प्रमाण नहीं दिया। साथ ही यह भी तथ्य प्रकाश में आए कि पूर्व प्रधान ने पट्टा देने के लिए अवैधानिक तरीका अपनाया था। न तो पट्टे की मुनादी हुई थी और न ही एजेंडा ही तैयार किया गया था। भूमि का पट्टा कृषि के लिए हुआ था। जबकि भूमि पर बड़े-बड़े पेड़ खड़े थे। भूमि जोती बोई नहीं जा रही थी। साक्ष्यों को संज्ञान लेते हुए डीएम ने सोमवार को पूर्व प्रधान के साले नारायण के नाम किया गया पट्टा निरस्त कर दिया। साथ ही इस भूमि को ग्राम सभा के खाते में दर्ज कराने का निर्देश दिया।

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प्रधान के बहू के नाम भी किया था पट्टा

ओसा के पूर्व प्रधान रहे महाबीर त्रिपाठी ने अपने कार्यकाल में बेटे का नाम छिपाते हुए अपनी बहू सीता देवी (गीता देवी) के नाम पट्टा किया था। इस पट्टे को गलत तरीके से किए जाने का आरोप लगाते हुए दीपू तिवारी ने डीएम की कोर्ट में वाद दायर किया है। हाइवे से सटी इस भूमि की कीमत भी करोड़ों में है। सीता देवी की मौत के बाद उनके वारिसों के नाम पर पट्टा वरासत हो गया है। फिलहाल इस मामले को डीएम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहे एक वाद के चलते वहां स्थानांतरित कर दिया है।

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