गुडवर्क तक सीमित पुलिस, मास्टरमाइंडों की तलाश चुनौती

अपराधियों को सलाखों के पीछे डालकर अपराध पर शिकंजा कसने का दावा करने वाली पुलिस गुडवर्क के नाम पर महज खानापूर्ति करती नजर आ रही है। अपराध को बढ़ावा देने वाले मास्टरमाइंड जिले की पुलिस के लिए आज भी चुनौती बने हुए हैं। गांजा तमंचा व अन्य मादक पदार्थों में पुलिस भले ही कुछ लोगों को पकड़कर गुडवर्क के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही हो लेकिन असली शातिर के पहुंच से दूर होने की वजह लोग आला अफसरों की मॉनीटरिग का अभाव ही मान रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 18 Feb 2021 10:54 PM (IST) Updated:Thu, 18 Feb 2021 10:54 PM (IST)
गुडवर्क तक सीमित पुलिस, मास्टरमाइंडों की तलाश चुनौती
गुडवर्क तक सीमित पुलिस, मास्टरमाइंडों की तलाश चुनौती

कौशांबी : अपराधियों को सलाखों के पीछे डालकर अपराध पर शिकंजा कसने का दावा करने वाली पुलिस गुडवर्क के नाम पर महज खानापूर्ति करती नजर आ रही है। अपराध को बढ़ावा देने वाले मास्टरमाइंड जिले की पुलिस के लिए आज भी चुनौती बने हुए हैं। गांजा, तमंचा व अन्य मादक पदार्थों में पुलिस भले ही कुछ लोगों को पकड़कर गुडवर्क के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन असली शातिर के पहुंच से दूर होने की वजह लोग आला अफसरों की मॉनीटरिग का अभाव ही मान रहे हैं।

जनपद में इन दिनों इलाकाई पुलिस कुछ ज्यादा ही गुडवर्क कर रही है। कभी तमंचा के साथ आरोपित पकड़े जा रहे हैं तो कभी पशु तस्करों को गिरफ्तार किया जा रहा है। भारी मात्रा में गांजा की खेप भी पुलिस बरामद कर रही है। पखवारा भर में पुलिस के गुडवर्क का जिक्र किया जाए तो जनपद में गांजा बरामदगी की तो बाढ़ सी आ गई है। पहले 48 किलो गांजा के साथ पांच तस्कर पकड़े गए तो दोबारा 18 किलो गांजा के साथ तीन आरोपित गिरफ्तार किए गए। यदि इन दोनों मामलों को गंभीरता से लिया जाता तो गांजा की खेप पहुंचाने वाले असली शातिरों को पकड़ा जा सकता था। इतना ही नहीं, इसके अलावा भी आए दिन थाना पुलिस लोगों को गांजा के साथ पकड़ती रहती है। इतना ही नहीं, पुलिसिया गुडवर्क का यही हाल तमंचा व कारतूस की बरामदगी में भी है। पकड़े गए युवक के पास तमंचा कहां से आया, उसे कारतूस सप्लाई करने वाला कौन लाइसेंसधारी है। ऐसे कई सवालों को पुलिस जानबूझ कर दरकिनार कर देती है। ऐसी अनसुलझी गुत्थी के बीच इलाकाई पुलिस गुडवर्क करती है तो आला अफसर भी अहम बातों को दरकिनार कर देते हैं। ऐसी परिस्थिति में अपराध की जड़े खत्म हो पाना जनपद पुलिस के लिए चुनौती बना है।

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इन घटनाओं में हुई पुलिसिया अनदेखी

केस-1

सरायअकिल थाना क्षेत्र के स्थानीय कस्बे से एसओजी टीम ने गांजा तस्करी में लिप्त भाजपा कार्यकर्ता समेत पांच लोगों को 11 फरवरी को गिरफ्तार किया था। पकड़े गए आरोपितों के पास से पुलिस ने 48 किलो गांजा बरामद किया। पूछताछ के दौरान पुलिस को आरोपितों ने बताया कि प्रयागराज के छात्र नेता समेत दो लोग उसे गांजा की सप्लाई करते हैं। गांजा उड़ीसा व छत्तीसगढ़ से मंगाया जाता है। इसके बावजूद पुलिस पकड़े गए आरोपितों को जेल भेजवाने तक ही सीमित रही। पुलिस अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया होता तो बड़े मामले का पर्दाफाश होने के साथ छात्र नेता समेत कई ओहदेदार भी तस्करी की जद में आ सकते थे। केस-2

पइंसा थाने की पुलिस ने 14 फरवरी को 18 किलो गांजा के साथ तीन युवकों को पकड़ा। जबकि पुलिस महकमें में इस बात की चर्चा रही कि 25 किलो गांजा बरामद किया है। बहरहाल पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ में कई ऐसे लोगों के नाम भी प्रकाश में आए जो चित्रकूट जनपद के रहने वाले थे। प्रकाश में आए संदिग्धों से ही गांजा की खेप पकड़े गए आरोपित लेते थे। इस मामले में भी पुलिस महज पकड़े गए आरोपितों को जेल भेजवाने तक में ही सीमित रही। केस-3

सैनी कोतवाली क्षेत्र के सिराथू कस्बा के गाजीपुरवा से पुलिस ने एक युवक को तमंचा व कारतूस के साथ गिरफ्तार किया। पकड़े गए आरोपित सोनू से पुलिस ने तमंचा कहां से मिलने की बात भी पूछी, लेकिन यह गुडवर्क भी महज सोनू तक ही सीमित रह गया। गौर करने वाली बात यह है कि सोनू के पास से कारतूस भी पुलिस ने बरामद किया, लेकिन कारतूस किस लाइसेंसधारी के जरिए मिला, इसका भी पता लगाना मुनासिब नहीं समझा। जबकि लाइसेंसधारियों को ही कारतूस उपलब्ध कराई जाती है और उन्हें इसका हिसाब भी रखना होता है। ऐसे में यह कारतूस तमंचेबाजों तक कैसे पहुंचती है, यह सुलझा पाना पुलिस के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है।

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तमंचा व गांजा समेत अन्य मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले में शातिरों तक पहुंचने का प्रयास किया जाता है। पकड़े गए आरोपितों से पूछताछ के बाद असली शातिरों की धर-पकड़ का प्रयास भी किया जाता है, लेकिन अक्सर वह जानकारी मिल जाने के कारण फरार हो जाते हैं। इसके अलावा पकड़े गए आरोपितों को 24 घंटे से अधिक नहीं बैठाया जा सकता। नतीजतन अभियुक्तों को जेल भेजवाने की प्रक्रिया करनी पड़ती है।

- समर बहादुर, अपर पुलिस अधीक्षक।

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