मां का दर्शन कर किया पौधारोपण, ताकि मिलता रहे आक्सीजन

टेढ़ीमोड़ पौधारोपण पावन पुनीत कार्य है। इससे जहां धरती की सुंदरता बढ़ती है वहीं वृक्ष्

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 09:40 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 09:40 PM (IST)
मां का दर्शन कर किया पौधारोपण, ताकि मिलता रहे आक्सीजन
मां का दर्शन कर किया पौधारोपण, ताकि मिलता रहे आक्सीजन

टेढ़ीमोड़ : पौधारोपण पावन पुनीत कार्य है। इससे जहां धरती की सुंदरता बढ़ती है, वहीं वृक्ष प्राण वायु आक्सीजन देने के साथ-साथ छाया, फल, फूल, लकड़ी भी देते हैं। बारिश करवाने में भी उनकी अहम भूमिका होती है। शास्त्रों में एक वृक्ष को दस पुत्रों के बराबर माना जाता है। धरती हमारी मां है और धरती का गहना वृक्ष है। इस लिए पेड़ लगाकर धरती मां की सुंदरता बढ़ाकर प्राकृतिक वातावरण को सुरम्य और मनोहर बनाकर हम प्रकृति की देवी को आदि शक्ति जगत जननी को प्रसन्न भी कर सकते हैं। पौधारोपण का कार्य यदि उनके दर्शन के बाद किया जाए तो और भी पुण्यदायी हो सकता है। पिता की कर्मस्थली वाले गांव में पुत्र ने कई सालों पहले मातारानी का मंदिर बनवाकर जब भी दर्शन के लिए जाते हैं तो दर्शन के बाद पौधा जरूर लगाते थे। इससे प्रकृति के साथ-साथ मानव जीवन को भी गति मिलती है।

सरसवां ब्लाक के बक्शी का पूरा के रहने वाले हरिओम सिंह पेशे से शिक्षक हैं। उनके पिता भी इसी ब्लाक के बड़हरी गांव में शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। उन्हीं के साथ आते-जाते गांव के बाहर जंगल में एक इमली के वृक्ष के नीचे मां दुर्गा की मूर्ति का दर्शन करते थे। पिता की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हीं की प्रेरणा से अभिभूत होकर वर्ष 2003 में मां का मंदिर बनवाने के बाद जब भी वह वहां पर जाते है। दर्शनार्थियों के सुविधा के लिए पौधा अवश्य लगाते हैं। कोरोना महामारी के चलते घर पर होने के कारण शिक्षक फिर से रविवार को मातारानी का जाकर दर्शन किया, साथ ही वहां पर वृक्षारोपण किया। इस संबंध में उन्होंने बताया कि मां कालिदी की तट पर एवं छोटी नदी की शाखा के किनारे मां दुर्गा की स्थापना के बाद यहां पर बहुत से दर्शनार्थी दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहां दर्शन के उपरांत बहुत ही शांति मिलती है। साथ ही प्राकृतिक सुंदरता बढ़ती है। मानव जीवन को जीवन रूपी ऑक्सीजन, लोगों को बैठने के लिए शीतल छाया, फल, फूल व आयुर्वेदिक औषधि भी मिलती है।

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