मदरसे की छात्राओं को मिली मिशन शक्ति की जानकारी
भरवारी मिशन शक्ति योजनाओं की जानकारी के लिए शनिवार को भरवारी स्थित मदरसा दारुल उलूम
भरवारी : मिशन शक्ति योजनाओं की जानकारी के लिए शनिवार को भरवारी स्थित मदरसा दारुल उलूम नूरिया एहसानिया में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मदरसा के प्रधानाचार्य अफजाल ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि सरकार की मिशन शक्ति योजना महिलाओं व छात्राओं को उनकी शक्ति की पहचान कराने के लिए है। विपरीत स्थिति में भी महिलाओं को अपना हौसला नहीं खोना चाहिए। विद्यालय की शिक्षिका अमीना ने मिशन शक्ति के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश सरकार का मिशन शक्ति कार्यक्रम महिलाओं के लिए संजीवनी जैसा है। विद्यालय की छात्राएं हों या गांव की महिलाएं हों उनमें आत्म विश्वास जगाने की आवश्यकता है। महिलाएं पुरुषों के साथ- साथ हर कार्य में बढ़ चढ़कर हिसा लें रही हैं। बाल विवाह व भ्रूण हत्या पर भी सख्त कानून लागू किया गया है। ऐसी स्थिति में पुलिस को सूचना देनी चाहिए। सभी पुलिस स्टेशनों पर भी महिलाओं की समस्या के निदान के लिए महिला हेल्प सेंटर बनाया गया है। जिससे शिकायतकर्ता अपनी बातों को निह संकोच दर्ज कर सके। इस अवसर पर प्रबंधक हाजी महमूद, शिक्षिका सबीना बेगम, रुबीना, गीता देवी व मंजू देवी उपस्थित रही। संत रविदास की जयंती पर हुआ हवन पूजन : संत रविदास की 644वीं जयंती पर शनिवार को वैदिक गुरुकुल महाविद्यालय सिराथू में संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ हवन से हुआ। आचार्य शिरोमणि शास्त्री की देखरेख में वेदपाठी ब्रह्मचारियों दैनिक अग्निहोत्र किया साथ ही संत रविदास जयंती के अवसर पर विशेष आहुतियां डाली गई।
इस मौके पर ज्ञानपिपासु शैलेश कुमार, शिवम, अनुज द्विवेदी, प्रांजलि मणि त्रिपाठी, आशीष शुक्ला आदि छात्रों ने गीत भजन प्रस्तुत किया। महात्मा राधेश्याम ने रविदास द्वारा बताए मार्ग पर चलने का संदेश दिया। संगोष्ठी का समापन करते हुए प्राचार्य अशर्फीलाल शास्त्री ने रविदास के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म सन 1450 व देहांत व देहांत 1528 में हुआ था। इनके पिता का नाम संतोषदास तथा माता का नाम कर्मादेवी था। रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों धार्मिक आडंबरों व अंधविश्वास को दूर करने का प्रयास करते रहे। उन्होंने बताया कि राम, कृष्ण, रहीम, राघव सब एक हैं। मार्ग भले ही अलग-अलग हो, लेकिन सबका परमात्मा एक ही है। उसको पवित्र भावना से मन की साधना के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। उसके यहां मजहब, धर्म, संप्रदाय, ऊंच-नीच, जाति का कोई भेद नहीं होता है। ऐसा संत विरला ही होता है, जो निर्मल मति द्वारा परमगति को प्राप्त होता है।