जल संरक्षण से ही आगे की पीढ़ी का जीवन

विश्व में पेयजल जल दिन पर दिन कम हो रहा है। पृथ्वी पर एक तिहाई भाग पानी तो जरूर है पर पीने योग्य पानी की मात्रा काफी कम है। पीने योग्य पानी का दोहन सबमसिर्बल नल हैंडपंप के माध्यम से तेजी से हो रहा है। ये जल संरक्षण को ध्यान न दिया गया तो जीवन संकट में पड़ जाएगा। ये बातें शुक्रवार को चायल के महमूदपुर मनौरी स्थित सरोजिनी नायडू बालिका इंटर कालेज में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला में कॉलेज के प्रबंधक परमानंद केशरवानी ने कही है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 11:07 PM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 06:06 AM (IST)
जल संरक्षण से ही आगे की पीढ़ी का जीवन
जल संरक्षण से ही आगे की पीढ़ी का जीवन

संवाद सूत्र कसेंदा : विश्व में पेयजल जल दिन पर दिन कम हो रहा है। पृथ्वी पर एक तिहाई भाग पानी तो जरूर है पर पीने योग्य पानी की मात्रा काफी कम है। पीने योग्य पानी का दोहन सबमसिर्बल, नल, हैंडपंप के माध्यम से तेजी से हो रहा है। ये जल संरक्षण को ध्यान न दिया गया तो जीवन संकट में पड़ जाएगा। ये बातें शुक्रवार को चायल के महमूदपुर मनौरी स्थित सरोजिनी नायडू बालिका इंटर कालेज में दैनिक जागरण की ओर से आयोजित संस्कारशाला में कॉलेज के प्रबंधक परमानंद केशरवानी ने कही है।

उन्होंने कहा कि पेयजल की गंभीर स्थिति का सामना नेपाल, फिलीपींस, थाइलैण्ड, आस्ट्रेलिया, फिजी और सामोआ जैसे देश भी करना पड़ रहा है। बेहतर कल के लिए सभी को जल संरक्षण करना होगा। प्रधानाचार्य सोम प्रकाश रत्नाकर ने जल पुरुष राजेंद्र सिंह के योगदान पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि जल पुरुष ने रेगिस्तान को हरा-भरा बनाने के लिए तालाब व पोखरों का निर्माण कराए थे। उन्हीं की प्रेरणा लेकर हर व्यक्ति को जल संरक्षण करना होगा। कहा कि बिना पानी जीवन संभव नहीं है। शिक्षिका रमा वर्मा ने बताया जल पुरुष की कहानी से प्रेरणा लेकर सब को ठोस कदम उठाना चाहिए। यदि जल संरक्षण नहीं किया जाएगा तो आने वाले समय में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा। शिक्षिका किरण ने जल पुरुष राजेंद्र सिंह का जीवन परिचय बच्चों से कराते हुए कहा की। लोगों को देश व आने वाली पीढ़ी के लिए जल बचाने के लिए अभी से ठोस कदम उठाने चाहिए। इस बीच कक्षा बारहवीं की छात्रा राजू कुमारी व उर्मिला पटेल ने बताया की हमरे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में पेयजल संकट बढ़ रहा है। जिसका कारण कारखाने व फैक्ट्रियों से निकाला जल नदियों व तालाबों में छोड़ा जाता है। जिससे उनमें इस्तमाल हुआ पानी तो बर्बाद होता ही है। साथ ही नदियों तालाबों का पानी दूषित हो जाता है। कारखाने व फैक्ट्रियों से निकाला पानी खेती में उपयोग कर और नदियों तालाबों को स्वच्छ रख कर जल दुरुपयोग कम कर सकते हैं। पानी को नहाने गाड़ियां धुलने व मवेशियों को नहलाने में अधिक मात्रा में पानी बर्बाद करते हैं। यदि से अभी से ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में पानी की गंभीर समस्या से जूझना पड़ेगा। कार्यक्रम में प्रधानाचार्य सोम प्रकाश रत्नाकर ने जल पुरुष राजेंद्र सिंह से जुड़े सवाल किए जिसका हिना यादव, रेखा पाल, रिजवाना बेगम, संजीव कुमार, शिखा साहू, माधुरी, शुभम केशरवानी, अशीष वर्मा समेत कई विद्यार्थियों ने जवाब दिया।

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