सीएमओ आफिस से बगैर निविदा 1.60 करोड़ भुगतान की जांच शुरू

मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से बगैर निविदा एक करोड़ 60 लाख रुपये की धनराशि के भुगतान मामले की जांच शुरू हो गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक के निर्देश पर जिलाधिकारी तथ्यों को एकत्रित करवा रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि निष्पक्ष जांच हुई तो अपर सीएमओ आरसीएच (रीप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ) भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। जांच शुरू होने से संबंधितों में अफरातफरी है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 10:58 PM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 10:58 PM (IST)
सीएमओ आफिस से बगैर निविदा 1.60 करोड़ भुगतान की जांच शुरू
सीएमओ आफिस से बगैर निविदा 1.60 करोड़ भुगतान की जांच शुरू

जागरण संवाददाता, कौशांबी : मुख्य चिकित्साधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से बगैर निविदा एक करोड़ 60 लाख रुपये की धनराशि के भुगतान मामले की जांच शुरू हो गई है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक के निर्देश पर जिलाधिकारी तथ्यों को एकत्रित करवा रहे हैं। माना जा रहा है कि यदि निष्पक्ष जांच हुई तो अपर सीएमओ आरसीएच (रीप्रोडक्टिव एंड चाइल्ड हेल्थ) भी कार्रवाई की जद में आ सकते हैं। जांच शुरू होने से संबंधितों में अफरातफरी है।

वित्त वर्ष 2019-20 स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भेजी गई धनराशि को अनियमित तरीके से खर्च किए जाने का मामला आडिट में पकड़ा गया था। आडिटर मेसर्स केवी सक्सेना एंड एसोसिएट्स कास्ट एकाउंटेंट लखनऊ ने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) की निदेशक अपर्णा उपाध्याय को गड़बड़ी की रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया है कि सीएमओ कार्यालय के जरिए फर्म के चयन में गड़बड़ी की गई है। सप्लाई के लिए नया टेंडर नहीं जारी किया गया। पहले से कार्य कर रहे शिवम इंटरप्राइजेज का नवीनीकरण कर दिया गया। जिन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी उन्हें निर्धारित वेतन नहीं दिया गया। किराये पर लिए गए वाहनों के अभिलेख आरसी, बीमा व फिटनेस जैसे प्रमाण पत्र नहीं दिए गए। सीएमओ कार्यालय द्वारा बिना निविदा ही 18 फर्मों को एक करोड़ 34 लाख रुपये का भुगतान किया गया है। कोटेशन, टेंडर, व बिडिग से संबंधित प्रपत्र भी आडिट के लिए नहीं दिए गए। टेंडर में प्रतिभाग करने वाली फार्म से विड, बिल के अभाव में क्रय समिति से अनुमोदन प्राप्त नहीं किया गया। नई गाइडलाइन के अनुसार खरीद जेम पोर्टल से की जानी चाहिए लेकिन इस प्रक्रिया को नहीं अपनाया गया। एक और तथ्य यह सामने आया है कि धनराशि का भुगतान पहले किया गया है, जबकि संबंधित लिपिक से हस्ताक्षर, भुगतान के चार माह बाद कराया गया।

chat bot
आपका साथी