खेती की पाठशाला में दी उर्वरा शक्ति बढ़ाने की जानकारी

कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों को विभिन्न शोध व खेती की तकनीकी आदि को लेकर जानकारी देने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने की सलाह देते हैं। गुरुवार को कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार सिंह ने किसानों को खेती की पाठशाला कार्यक्रम में माटी की उर्वरा शक्ति के संबंध में जानकारी दी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 Jul 2020 11:55 PM (IST) Updated:Fri, 24 Jul 2020 06:07 AM (IST)
खेती की पाठशाला में दी उर्वरा शक्ति बढ़ाने की जानकारी
खेती की पाठशाला में दी उर्वरा शक्ति बढ़ाने की जानकारी

कौशांबी : कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक समय-समय पर किसानों को विभिन्न शोध व खेती की तकनीकी आदि को लेकर जानकारी देने के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने की सलाह देते हैं। गुरुवार को कृषि वैज्ञानिक डॉ. मनोज कुमार सिंह ने किसानों को खेती की पाठशाला कार्यक्रम में माटी की उर्वरा शक्ति के संबंध में जानकारी दी।

डॉ. मनोज कुमार सिंह ने किसानों से कहा कि आम तौर पर हम अच्छी पैदावार के लिए डीएपी, यूरिया व पोटास आदि उर्वरक देते हैं। जिसे पौधों की जड़ें नमी की अवस्था में घोल के रूप में अपनी खुराक भूमि से लेती है। पौधों को खुराक उपलब्ध कराने में भूमि में मौजूद जीवांश कार्बन व सूक्ष्म जीव सहायक होते है।

यदि भूमि में जीवांश कार्बन व सूक्ष्म जीव पर्याप्त मात्रा में है, तो पौधों को खुराक आसानी से मिलती रहती है और पैदावार अच्छी होती है। सूक्ष्म जीव भूमि में जीवांश कार्बन और नमी की उपलब्धता में ही सक्रिय रहते हैं। पूर्व में भूमि शोधन व कीट और रोग नियंत्रण करने के लिए इतना रसायन भूमि में डाला गया कि भूमि में रहने वाले सूक्ष्म जीव मर चुके हैं। भूमि में ऐसे बहुत से पोषक तत्व (खुराक) पहले से मौजूद हैं, जो सूक्ष्म जीवों द्वारा पौधों को प्राप्त होते हैं। परंतु सूक्ष्म जीव मर जाने के कारण भूमि में उपलब्ध खुराक पौधों को नहीं मिल पाती, जिस कारण पैदावार अच्छी न होने के कारण उत्पादन कम हो जाता है। उर्वरकों कि मात्रा बढ़ाते रहेंगे तो एक स्तर पर आकर पैदावार रुक जाएगी, फिर चाहे हम कितना ही उर्वरक क्यों न डालें, पैदावार नहीं बढ़ेगी। कहा कि रसायनिक उर्वरकों की मात्रा बढ़ाने की बजाए भूमि में जीवांश कार्बन और सूक्ष्म जीवों की उपलब्धता बढ़ाने की तरफ ध्यान देना चाहिए। डॉ. मनोज ने जीवांश कार्बन व सूक्ष्म की मात्रा को खेतों में वर्मी कंपोस्ट, हरी खाद, गोबर की खाद, जैविक खाद के प्रयोग के साथ- साथ खेत में फसल अवशेषों को भी छोड़ कर उनका हरी खाद के रूप में प्रयोग की सलाह दी है।

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