लॉकडाउन में सब कुछ ठप हुआ तो मास्क बनाकर की कमाई

एक वर्ष पहले कोरोना की लहर ऐसे आई कि शहर से लेकर गांव तक खेती को छोड़ कर सारे काम काज ठप हो गए। चाट फुल्की फल आदि के ठेले समेत छोटी बड़ी कई प्रकार की दुकाने भी बंद हो गई थीं। लोगों का जीवन बचाना ही मात्र एक लक्ष्य बन गया था। गरीबों का पेट भरने के लिए समाजसेवी भोजन आदि वितरित किए। धन के अभाव में लोगों ने नए कपड़े सिलवाना बंद कर दिया था। ऐसे में कादिलपुर गांव के एक टेलर ने लोगों को कोरोना से बचाने के लिए मास्क बनाना शुरू किया। इस कारोबार से अच्छी कमाई भी की।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 10:37 PM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 10:37 PM (IST)
लॉकडाउन में सब कुछ ठप हुआ तो मास्क बनाकर की कमाई
लॉकडाउन में सब कुछ ठप हुआ तो मास्क बनाकर की कमाई

कसेंदा : एक वर्ष पहले कोरोना की लहर ऐसे आई कि शहर से लेकर गांव तक खेती को छोड़ कर सारे काम काज ठप हो गए। चाट फुल्की, फल आदि के ठेले समेत छोटी बड़ी कई प्रकार की दुकाने भी बंद हो गई थीं। लोगों का जीवन बचाना ही मात्र एक लक्ष्य बन गया था। गरीबों का पेट भरने के लिए समाजसेवी भोजन आदि वितरित किए। धन के अभाव में लोगों ने नए कपड़े सिलवाना बंद कर दिया था। ऐसे में कादिलपुर गांव के एक टेलर ने लोगों को कोरोना से बचाने के लिए मास्क बनाना शुरू किया। इस कारोबार से अच्छी कमाई भी की।

कोरोना जैसी महामारी से बचाने के लिए सरकार के पास लॉकडाउन ही एक उपाय था। दूसरे देशों में कोरोना जानलेवा हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगा दिया। इसकी वजह से शहरों बाजारों के उद्योग धंधे ठप हो गए। जनपद में कपड़े, मिष्ठान, किराना, ज्वेलर्स की दुकानों में ताला लगाना पड़ा। जिससे काफी संख्या में लोग बेरोजगार भी हुए लेकिन जान है तो जहान है की तर्ज पर लोगों ने एक दूसरे की मदद कर किसी तरह से गुजारा किया। कोरोना वायरस का प्रकोप कम हुआ तो लॉकडाउन खुला और धीरे-धीरे लोगों ने काम काज शुरू किया। कोरोना काल में लगाए गए लॉकडाउन में जब सब कुछ ठप हो गया तो कादिलपुर गांव निवासी मनोज पुत्र प्यारेलाल ने गांव के ही प्राथमिक विद्यालय के पास स्थित चौराहे पर एक कमरे में मास्क बनाने का काम शुरू किया। कोरोना वायरस से बचने के लिए इस बीच मास्क की बढ़ी मांग तो उन्होंने गांव के राधेश्याम, प्रिस, दीपांशु व छोटू को काम पर लगाकर रोजगार दिया। मनोज ने बताया कि पहले वह 50 पीस मास्क तैयार कर बिक्री करते थे। मांग बढ़ने पर चार लोगों को काम पर लगाया। तब चार से पांच हजार रुपये का मास्क हर दिन बेचते थे। अब मास्क की मांग कम हुई तो शर्ट पैंट शूट आदि की सिलाई का काम शुरू कर दिया है। जो अभी तक सुचारु रूप से चल रहा है। गांव के चार लोगों को भी गांव में रोजगार मिला इससे वे भी खुश हैं।

chat bot
आपका साथी