यहां तो सड़क की पटरी से होता है आधा कारोबार
नगर पालिका भरवारी जिले की पुरानी बाजार है। यहां से जिले के हर शहर व कस्बे तक कारोबार होता है। इसके बाद भी नगर पालिका क्षेत्र में सड़क सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं हुआ। पटरियों पर आज भी दुकानदार समान लगाए रखते हैं। यातायात के लिए साधन खड़ा करने का कोई तय स्थान नहीं है। ऐसे में सड़क पर ही सवारी उतारने और बैठाने का काम होता है। इतना ही नहीं जिन आटो व टेंपों को खाड़ा होना है वह भी सड़क की पटरी पर खड़ा होगा। समुचित व्यवस्था न होने से जाम की समस्या बनी रहती है।
संसू, भरवारी : नगर पालिका भरवारी जिले की पुरानी बाजार है। यहां से जिले के हर शहर व कस्बे तक कारोबार होता है। इसके बाद भी नगर पालिका क्षेत्र में सड़क सुरक्षा के नाम पर कुछ नहीं हुआ। पटरियों पर आज भी दुकानदार समान लगाए रखते हैं। यातायात के लिए साधन खड़ा करने का कोई तय स्थान नहीं है। ऐसे में सड़क पर ही सवारी उतारने और बैठाने का काम होता है। इतना ही नहीं जिन आटो व टेंपों को खाड़ा होना है वह भी सड़क की पटरी पर खड़ा होगा। समुचित व्यवस्था न होने से जाम की समस्या बनी रहती है।
भरवारी कस्बा कौशांबी के सब से पुराने कस्बों में सुमार है। यहां से पूरे जिले में कारोबार होता है। कस्बे का महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां करीब एक दर्जन से अधिक बैंक की शाखाएं हैं। 11 बैंक एटीएम, डिग्री कालेज, आधा दर्जन इंटर कालेज, करीब एक दर्जन जूनियर तक के विद्यालय है। रेलवे स्टेशन, डाकघर आदि की सुविधा कस्बे में हैं। ऐसे में कस्बे में प्रतिदिन लोगों का आवागमन बना रहा है। भीड़ होने के कारण कस्बे में जाम की समस्या बनी रहती है। इस समस्या को स्थानीय लोग और बढ़ा देते हैं। सड़क किनारे पटरियों तक दुकानदार सामान फैला देते हैं। सड़क पर ही यहां से दूसरे स्थानों तक जाने वाले वाहन खड़े होते हैं। ऐसे में जाम की समस्या बनी रहती है। इससे निजात के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास नहीं हो रहा है। भरवारी को नगर पालिका का दर्जा मिला है। फिर भी कस्बे विकास का खाका तैयार नहीं हो सका। कहा बस स्टैड होगा, कहा आटो रुकेगा। इस बात की प्लानिग का आभाव है।
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बाजार के दिन निकलना कठिन
भरवारी कस्बे में जाम का झाम दशकों से है। यहां की गौरा रोड़, नया बाजार, पुरानी बाजार, रेलवे क्रासिग आदि स्थानों पर नगर पालिका ने लोगों की सुविधा के लिए पटरी पर इंटरलाकिग कराया है। लोगों ने इन पटरियों पर कब्जा कर रखा है। ऐसे में जाम की समस्या बनी रहती है। इसका लाभ आम लोगों को नहीं मिल पा रहा है।
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रोडवेज ने तो कस्बे में रोक दिया संचालन
रोडवेज बसों का संचालन भरवारी कस्बे से होकर होता था, लेकिन करीब दो साल पहले कस्बे में जाम की समस्या को देखते हुए बसों का संचालन बाइपास से होना लगा। रोडवेज चालक कस्बे के अंदर बस ले जाने में परहेज करते हैं। इसको लेकर चायल विधायक संजय कुमार गुप्ता ने रोडवेज के अधिकारियों से वार्ता भी की, लेकिन कुछ दिनों तक तो बस कस्बे के अंदर से होकर गुजरी। इन दिनों फिर से बस बाइपास से होकर गुजर रही है।
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हम सब को लगा की भरवारी को नगर पालिका का दर्जा मिला है। अब कस्बे को जाम जैसी समस्या से निजात मिलेगी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। केवल नाम बदला है सुविधा में बदलाव नहीं दिख रहा।
गौरव वैश्य
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जब नगर पालिका का दर्जा मिला था तो कस्बे के अंदर से बस जाती थी। अब नगर पालिका हो गई तो बस के लिए बस्बे से बाहर निकलकर रोड जक जाना पड़ता है। यह बेहतर विकास है।
- सचिन सोनी
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सड़क के किनारे लोगों ने कब्जा करते हुए दुकाने लगाना शुरू कर दिया। इसके कारण जाम की समस्या बनी रहती है। इससे निजात के लिए स्थाई हल निकालना होगा। तभी समस्या से निजात मिलेगी।
- प्रदीप कुमार श्रीवास्तव
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जब तक कस्बे के विकास के लिए स्थाई प्लानिग नहीं होगी। इस प्रकार की समस्या बनी रहेगी। नगर पालिका प्रशासन को जाम व अतिक्रमण के लिए कठोर कदम उठाते हुए योजना बनानी होगी। इसके लिए किसी के हित को देखकर काम करना बेहतर नहीं है।
- आफताब अहमद उर्फ सुनील