आरटीआइ को कर्मचारियों ने बनाया मजाक

जनपद में तैनात जनसूचना अधिकारी सूचना के अधिकार कानून की किस तरह धज्जियां उड़ा रहे हैं इसकी बानगी जलालपुर शाना गांव निवासी सुनील कुमार से बेहतर शायद ही कोई और जानता। सुनील कुमार ने दो माह पूर्व आरटीआइ के तहत गांव में विभिन्न योजनाओं में खर्च किए गए धन और अभिलेख की जानकारी मांगी थी। सूचना अधिकारी ने सूचना देने के लिए शुल्क भी जमा कराया लेकिन आज तक उन्हें सूचना नहीं दी गई।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 11:04 PM (IST) Updated:Sat, 23 Nov 2019 06:06 AM (IST)
आरटीआइ को कर्मचारियों ने बनाया मजाक
आरटीआइ को कर्मचारियों ने बनाया मजाक

संसू, चायल : जनपद में तैनात जनसूचना अधिकारी सूचना के अधिकार कानून की किस तरह धज्जियां उड़ा रहे हैं, इसकी बानगी जलालपुर शाना गांव निवासी सुनील कुमार से बेहतर शायद ही कोई और जानता। सुनील कुमार ने दो माह पूर्व आरटीआइ के तहत गांव में विभिन्न योजनाओं में खर्च किए गए धन और अभिलेख की जानकारी मांगी थी। सूचना अधिकारी ने सूचना देने के लिए शुल्क भी जमा कराया लेकिन आज तक उन्हें सूचना नहीं दी गई।

जलालपुर शाना गांव निवासी सुनील कुमार की ओर से 13 सितंबर 2019 को ग्राम पंचायत जलालपुर शाना के अंर्तगत पिछले तीन वर्षों के विभिन्न योजनाओं में व्यय की गई धनराशि, प्राक्कलन की छायाप्रति, कैशमेमो, बिल बाउचर और कैशबुक रजिस्टर के बारे में आरटीआइ के तहत मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय में तैनात जनसूचना अधिकारी से जानकारी मांगी थी। जिसके प्रत्युत्तर में आवेदक को पत्र भेज मांगी गई सूचना को 1715 पेज का बताते हुए 3430 रुपये की धनराशि शुल्क के रूप में जमा कराने को कहा। सुनील कुमार ने 30 अक्टूबर को यह धनराशि जनसूचना शुल्क के रूप में ग्राम पंचायत निधि में जमा करा दी। शुल्क जमा करने के बाद भी वह विकास खंड का चक्कर लगा रहे हैं। अब तक उनको मांगी गई सूचनाएं नहीं मिली। उन्होंने इसकी अपील राज्य आयुक्त सूचना में की है। इसकी भनक लगते ही ग्राम विकास अधिकारी ने डाक से एक पत्र भेजकर खंड विकास कार्यालय में सूचना उपलब्ध कराये जाने की बात कही है। नियम विरुद्ध आवेदक से जमा कराया गया शुल्क

जनसूचना अधिकार से मांगी गई सूचना को आवेदक को 30 दिन के अंदर उपलब्ध कराने पर ही आवेदक से दो रुपये प्रति छाया कापी के हिसाब से देना होता है। 30 दिन की समयावधि बीत जाने के बाद मांगी गई सूचना को निश्शुल्क उपलब्ध कराने का नियम है। मामले में 30 दिन बीत जाने के बाद भी आवेदक से शुल्क जमा करा लिया गया।

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