धूमधाम से मनाया गया बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा, राम ने रावण को मारकर लंका पर पाई जीत

शहजादपुर में विजयादशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान आयोजित मेले में आए हुए लोगों जहां एक ओर खरीदारी किया। वहीं बच्चों ने झूले का लुत्फ उठाया। महिलाओं ने भी जरूरतों के सामान खरीदे। पूरा मेला जनसैलाब से भरा हुआ था। मेले में राधा-कृष्ण शिव-पार्वती राम-लक्ष्मण सीता सहित कई आकर्षक चौकियां निकाली गई जो लोगो के आकर्षण का केंद्र बनी रही।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 16 Oct 2021 11:29 PM (IST) Updated:Sat, 16 Oct 2021 11:29 PM (IST)
धूमधाम से मनाया गया बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा, राम ने रावण को मारकर लंका पर पाई जीत
धूमधाम से मनाया गया बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा, राम ने रावण को मारकर लंका पर पाई जीत

कौशांबी। शहजादपुर में विजयादशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान आयोजित मेले में आए हुए लोगों जहां एक ओर खरीदारी किया। वहीं बच्चों ने झूले का लुत्फ उठाया। महिलाओं ने भी जरूरतों के सामान खरीदे। पूरा मेला जनसैलाब से भरा हुआ था। मेले में राधा-कृष्ण, शिव-पार्वती, राम-लक्ष्मण, सीता सहित कई आकर्षक चौकियां निकाली गई, जो लोगो के आकर्षण का केंद्र बनी रही। वहीं दूसरी तरफ जैसे ही रामदल गाजे-बाजे के साथ लंका मैदान पर पहुंचा तो सर्व प्रथम सैकड़ों वर्षो से चली आ रही परंपरा के अनुसार रामदल व रावण दल के बीच गेंदा युद्ध शुरू हुआ। किसी कारण वश संचालक ने ज्यादा भीड़ के चलते गेंदा युद्ध को प्रतीक रूप में संपन्न करते हुए होने वाली अव्यवस्था को नियंत्रित कर लिया। उसके बाद मैदान में युद्ध लड़ने के लिए मेघनाथ आया। तब लक्ष्मण और मेघनाथ के बीच घनघोर युद्ध हुआ। जिसमें मेघनाथ ने ब्रम्हास्त्र का प्रयोग कर लक्ष्मण को मूर्छित कर दिया। लक्ष्मण के गिरते ही रामदल में निराशा छा गयी। तब सुग्रीव के कहने पर हनुमान लंका से सुषेन वैद्य को लाए। जिस पर उन्होंने कहा कि प्रात: होने से पहले यदि संजीवनी बूटी आ जाये तो लक्ष्मण के प्राण बच सकते है। जिस पर हनुमान हिमालय पर्वत पर बूटी न खोज पाने पर पूरा पहाड़ ही उठा लाये। जिस पर सुषेन वैद्य ने बूटी पहचान लिया। उसके प्रयोग से मूर्छित लक्ष्मण उठकर युद्ध के लिए तैयार हो गए। उन्होंने मेघनाथ को धराशायी कर दिया। उसके बाद राम और लक्ष्मण ने रावण पर बाणों की वर्षा कर दी, किन्तु रावण का सिर कटने के बाद पुन: वह जीवित हो उठता था। तब विभीषण ने बताया कि रावण की नाभि में अमृत है। इस पर श्रीराम ने एक साथ 31 बाणों का प्रयोग किया। जिस पर रावण का अंत हो गया और बुराई पर अच्छाई की जीत हो गयी। उपस्थित लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाकर एक दूसरे को गले लगाकर विजया दशमी की बधाई दी। राम व भरत का प्रेम देख भर आई दर्शकों की आंखें

सिराथू विकासखंड क्षेत्र के नारा बाजार में आयोजित हो रही रामलीला में शनिवार को भरत मिलाप का मंचन किया गया। जिसको देख कर बैठे दर्शकों की आंखें भर आई। लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद प्रभु राम चौदह वर्षों के वनवास की अवधि पूरी होने के बाद पत्नी सीता, भाई लक्ष्मण के सहित अयोध्या धाम लौटे। भाई के आने की राह देख रहे भरत श्रीराम से मिलने के बाद फूट-फूट कर रोने लगे। दो भाइयों के प्रेम व स्नेह देखकर बैठे दर्शक भाव विभोर हो गए और उनकी आंखें छलक पड़ी। रामलीला के साथ-साथ तीन दिवसीय दशहरे मेले का आयोजन किया गया। इस मेले में दूरदराज से आए लोगों ने रामलीला कार्यक्रम का आनंद लिया। कमेटी के अध्यक्ष अमन त्रिपाठी ने बताया कि रविवार को अंतिम दिन राम के राज्याभिषेक का मंचन किया जाएगा। जिसमें वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक किया जाएगा। मंझनपुर दहशरा में हुआ राम-रावण युद्ध

नगर पालिका मंझनपुर में शुक्रवार को विजयादशमी पर्व धूमधाम से मनाया गया। मेले में बच्चों के खिलौने, खाद्य सामग्री व झूला आदि की व्यवस्था रही। सुरक्षा की ²ष्टि से मंझनपुर कोतवाली पुलिस चप्पे-चप्पे पर तैनात रही। राम-रावण के युद्ध का भी लुत्फ लोगों ने उठाया। दशानन का संहार करते ही दर्शकों ने जय श्री राम के नारे लगाए। शनिवार को भरत मिलाप कार्यक्रम का आयोजन देर शाम किया गया। दोनों दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश समेत नौ देवियों की अलग-अलग आकर्षक चौकियां निकाली गईं। देर रात तक लोग मेले का लुत्फ उठाते रहे।

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